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सीएम धामी बोले सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर अब “सोशल चेंज मेकर्स”, समाज में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
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कांग्रेस की 14 दिसम्बर दिल्ली के रामलीला मैदान में, वोट चोर – गद्दी छोड़ महारैल की तैयारियां हुई तेज, राजीव महर्षि।
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जनता दर्शन में डीएम सविन बसंल ने, 176 लोगों की सुनी समस्याएं, कई मामलों का मौके पर ही किया समाधान।
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प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर आयोजित होगा किसान दिवस, 17 दिसम्बर को चमोली जिले से होगी शुरुआत, कृषि मंत्री गणेश जोशी।
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बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष को गंभीरता से लेते हुए, मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में, शासन स्तरीय अधिकारियों का दल पहुंचा पौड़ी। 
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हरदा की पार्टी मे कांग्रेसी माल्टा रसहीन, और राजनीतिक स्वाद से पर, महेंद्र भट्ट।
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सीएम पुष्कर धामी ने, स्व. जनरल बिपिन रावत की पुण्यतिथि पर, उनकी प्रतिमा पर पुष्पचक्र अर्पित कर दी श्रद्धांजलि।
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने, टॉपर छात्र – छात्राओं के दल को,  “भारत दर्शन शैक्षिक भ्रमण” पर किया रवाना।
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मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने, होमगार्ड्स स्थापना दिवस पर रैतिक परेड का किया निरीक्षण।
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मार्ग चौड़ीकरण के नाम पर करीब 3300 पेड़ों को काटने के विरोध में सड़क पर उतरे पर्यावरण प्रेमी 

मार्ग चौड़ीकरण के नाम पर करीब 3300 पेड़ों को काटने के विरोध में सड़क पर उतरे पर्यावरण प्रेमी 

चिपको आंदोलन 2.0 शुरू करने का किया एलान 

भानियावाला-ऋषिकेश मार्ग में होना है चौड़ीकरण कार्य

ऋषिकेश। भानियावाला-ऋषिकेश मार्ग चौड़ीकरण के नाम पर करीब 3300 पेड़ों को काटने के विरोध में दो-दो पद्मश्री, लोकगायिका समेत बड़ी संख्या में पर्यावरण प्रेमी सड़क पर उतर गए। पेड़ों से चिपक कर महिलाओं ने उनके रक्षा का संकल्प लिया और चिपको आंदोलन 2.0 शुरू करने का एलान किया। विरोध प्रदर्शन के दौरान हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया।

ऋषिकेश से भानियावाला के बीच सड़क को फोरलेन किया जाना है। करीब 21 किमी के दायरे में 600 करोड़ रुपये की लागत से चौड़ीकरण कार्य किया जाना है। चौड़ीकरण के दौरान करीब 3300 पेड़ भी कटान की जद में हैं। जिनका इन दिनों छंटाई कार्य चल रहा है। इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों के कटान की जद में आने पर पर्यावरणविदों व लोगों ने कड़ा आक्रोश जताया है।

विभिन्न संगठनों से जुड़े लोग सात मोड़ क्षेत्र में एकत्र हुए। पर्यावरणविदों का कहना था कि पिछले कुछ दशकों में, देहरादून और उसके आसपास के क्षेत्रों में पर्यावरणीय असंतुलन तेजी से बढ़ा है। बढ़ते तापमान, घटते भूजल स्तर और खराब होती वायु गुणवत्ता लोगों के स्वास्थ्य और जीवन पर गंभीर प्रभाव डाल रहे हैं।

इन गंभीर संकेतों के बावजूद, बिना किसी दीर्घकालिक पर्यावरणीय योजना के बड़े-बड़े विकास परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। उत्तराखंड के लोग लंबे समय से वनों की अंधाधुंध कटाई और प्राकृतिक संसाधनों के विनाश का विरोध कर रहे हैं। लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों ने सातमोड़ क्षेत्र में पेड़ों को रक्षा सूत्र बांध कर उनकी रक्षा का संकल्प लिया। कहा कि यह चिपको आंदोलन 2.0 का आगाज है।

यह हैं प्रदर्शनकारियों की मांग
1. ऋषिकेश-जौलीग्रांट हाईवे परियोजना और इसके तहत 3,300 पेड़ों की कटाई पर रोक लगाई जाए।
2. देहरादून और इसके आसपास के पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में वनों के व्यावसायिक उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। भविष्य की सभी परियोजनाओं में सतत विकास को प्राथमिकता दी जाए।
3. देहरादून की पारंपरिक नहरों का संरक्षण और पुनरुद्धार किया जाए। ये नहरें भूजल रिचार्ज और अत्यधिक गर्मी के दौरान तापमान को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
4. देहरादून की प्रमुख नदियों (रिस्पना, बिंदाल और सौंग) को पुनर्जीवित किया जाए। इन्हें प्लास्टिक कचरे और अनुपचारित सीवेज से बचाया जाना चाहिए।
5. हरे भरे स्थानों को बढ़ावा देने के लिए सख्त नियम लागू किए जाएं। देहरादून और आसपास के क्षेत्रों में आने वाली सभी नई आवासीय और व्यावसायिक परियोजनाओं में कम से कम 25% भूमि हरित क्षेत्र के लिए आरक्षित होनी चाहिए।
6. वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए त्वरित कार्रवाई की जाए।
7. 1980 के वन अधिनियम में संशोधन कर जंगलों में लगने वाली आग को रोकने के लिए प्रभावी रणनीतियां अपनाई जाएं।

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