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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने, जनपद बागेश्वर में प्रबुद्ध जनों, राज्य आंदोलनकारियों, एसएचजी महिलाओं व, विभिन्न संगठनों संग किया संवाद।
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मुख्यमंत्री धामी का सख्त निर्देश, जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ समय पर पात्रों तक पहुँचे, लापरवाही बर्दाश्त नहीं।
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डीएम सविन बंसल के निर्देश पर, एसडीएम एवं नगर आयुक्त ऋषिकेश के नेतृत्व में, चंद्रभागा में अवैध अतिक्रमण ध्वस्त।
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कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने, मसूरी विधानसभा क्षेत्र में लगभग 20 करोड़ की लागत से, विभिन्न विकास कार्यों का किया  शिलान्यास।
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कुम्भ मेले में देवडोलियों व लोक देवताओं के प्रतीकों, एवं चल विग्रहों के स्नान और शोभा यात्रा की भव्य व्यवस्थाएं।
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डीएम सविन बंसल संग अर्ली मॉर्निंग वॉक, बढा गई बौद्धिक दिव्यांगजन का हौसला।
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धामी सरकार की बडी पहल, अब गढ़वाल मंडल भी जुडा हवाई सेवाओं से, देहरादून से टिहरी-श्रीनगर-गौचर अब हवाई मार्ग से जुड़े।
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राजभवन का नाम लोक भवन होने पर, राज्यपाल को बधाई एवं शुभकामनाएं दी, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी।
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मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की, पुण्य तिथि पर उनके चित्र पर श्रद्धासुमन किए अर्पित।
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रामनवमी पर रामलला का हुआ सूर्य अभिषेक, भक्ति और विज्ञान के अद्भुत संगम को निहारती रही दुनिया 

रामनवमी पर रामलला का हुआ सूर्य अभिषेक, भक्ति और विज्ञान के अद्भुत संगम को निहारती रही दुनिया 

उत्तर प्रदेश। रामलला का सूर्य अभिषेक दोपहर 12 बजकर 01 मिनट पर हुआ। सूर्य की किरणें रामलला के चेहरे पर पड़ीं। करीब 75 मिमी का टीका राम के चेहरे पर बना। दुनिया भक्ति और विज्ञान के अद्भुत संगम को भक्तिभाव से निहारती रही। यह धर्म और विज्ञान का भी चमत्कारिक मेल रहा। इस सूर्य तिलक के लिए वैज्ञानिकों ने कई महीने से तैयारी की थी। इसके लिए कई ट्रायल किए गए। आज दोपहर में जैसे ही घड़ी में 12 बजकर 01 मिनट हुए सूर्य की किरणें सीधा राम के चेहरे पर पहुंच गईं। 12 बजकर एक मिनट से 12 बजकर 6 मिनट तक सूर्य अभिषेक होता रहा। पूरे पांच मिनट तक यह प्रक्रिया चली।

वैज्ञानिकों ने बीते 20 वर्षों में अयोध्या के आकाश में सूर्य की गति अध्ययन किया है। सटीक दिशा आदि का निर्धारण करके मंदिर के ऊपरी तल पर रिफ्लेक्टर और लेंस स्थापित किया है। सूर्य रश्मियों को घुमा फिराकर रामलला के ललाट तक पहुंचाया गया। सूर्य की किरणें ऊपरी तल के लेंस पर पड़ीं। उसके बाद तीन लेंस से होती हुई दूसरे तल के मिरर पर आईं। अंत में सूर्य की किरणें रामलला के ललाट पर 75 मिलीमीटर के टीके के रूप में दैदीप्तिमान होती रहीं और ये लगभग पांच मिनट तक टिकी रहीं।

सूर्य तिलक के लिए आईआईटी रुड़की सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने एक खास ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम तैयार किया है। इसमें मंदिर के सबसे ऊपरी तल (तीसरे तल) पर लगे दर्पण पर ठीक दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणें पडे़ंगी। दर्पण से 90 डिग्री पर परावर्तित होकर ये किरणे एक पीतल के पाइप में जाएंगी। पाइप के छोर पर एक दूसरा दर्पण लगा है। इस दर्पण से सूर्य किरणें एक बार फिर से परावर्तित होंगी और पीतल की पाइप के साथ 90 डिग्री पर मुड़ जाएंगी।

दूसरी बार परावर्तित होने के बाद सूर्य किरणें लंबवत दिशा में नीचे की ओर चलेंगी। किरणों के इस रास्ते में एक के बाद एक तीन लेंस पड़ेंगे, जिनसे इनकी तीव्रता और बढ़ जाएगी। लंबवत पाइप जाती है। लंबवत पाइप के दूसरे छोर पर एक और दर्पण लगा है।  बढ़ी हुई तीव्रता के साथ किरणें इस दर्पण पर पड़ेंगी और पुन: 90 डिग्री पर मुड़ जाएंगी। 90 डिग्री पर मुड़ी ये किरणें सीधे राम लला के मस्तक पर पड़ेंगी। इस तरह से राम लला का सूर्य तिलक पूरा होगा।

दोपहर 12 बजे से राम का जन्मोत्सव मनाया गया। केदार, गजकेसरी, पारिजात, अमला, शुभ, वाशि, सरल, काहल और रवियोग बने। आचार्य राकेश तिवारी ने बताया कि वाल्मीकि रामायण में लिखा है कि रामजन्म के समय सूर्य और शुक्र अपनी उच्च राशि में थे। चंद्रमा खुद की राशि में मौजूद थे। इस साल भी ऐसा ही हो रहा है। आचार्य राकेश के अनुसार, ये शुभ योग अयोध्या सहित पूरे भारत की तरक्की के मार्ग प्रशस्त करेंगे।

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