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कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने, ₹53.72 करोड़ की लागत से बनने वाले, टपकेश्वर–गढ़ी कैंट सीवर लाइन परियोजना का किया भूमिपूजन।
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दो दिवसीय “सांसद खेल महोत्सव” कार्यक्रम सफलतापूर्वक हुआ सम्पन्न।
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सशस्त्र सेना झंडा दिवस के अवसर पर, सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी को, विभाग के अधिकारियों ने लगाया फ्लैग।
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सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर सवाड़ चमोली में, मुख्यमंत्री धामी की महत्वपूर्ण घोषणाएँ।
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मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने किया, 108 करोड़ की योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास। 
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गौ सेवा है मानवता का आधार, रेखा आर्या।
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डीएम बंसल के निर्देश पर जनसेवा केंद्रों पर छापेमारी जारी, ऋषिकेश में जन सेवा केंद्र पर जिला प्रशासन ने लगाया ताला किया सील।
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डीएम सविन बंसल का एक्शन, जनमानस की सुरक्षा से खिलवाड़ नहीं होगा बर्दाश्त, गेल की सभी कार्य अनुमति निरस्त लगा 2 माह का प्रतिबंध।
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सीएम धामी सुबह सुबह पहुंचे सरयू घाट, लोगों से संवाद कर वहाँ चल रहे, विभिन्न विकास कार्यों का किया निरीक्षण।
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गरमी को रोकना आसान नहीं

गरमी को रोकना आसान नहीं

जलवायु वैज्ञानिकों व शोधकर्ताओं के अध्ययन के अनुसार मई में महसूस की गई लू अब तक की सबसे अधिक रही। क्लाइमामीटर के शोधकर्ताओं ने मई में देश में प्रचंड व लंबे समय तक चलने वाली लू प्राकृतिक रूप से होने वाली घटना अल-नीनो का परिणाम बताया।

इस बदलाव से पता चलता है कि मौजूदा जलवायु में बीते सालों की तुलना में कम से कम 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान अधिक रहा जबकि वष्रा परिवर्तन में कोई महत्त्वपूर्ण बदलाव नहीं दिख रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार जीवाश्म ईधन के उपयोग के कारण भारत में लू यानी ताप लहर तापमान की असहनीय सीमा तक पहुंच गई है।

तापमान का 50 डिग्री के करीब पहुंचने का कोई तकनीकी समाधान नहीं है। अल-नीनो व मानवजनित जलवायु परिवर्तन के संयुक्त प्रभाव के तहत दुनिया इस तरह के गरम मौसम से जूझ रही है। गरमी और अधिक तेज होती जा रही है। मई में दिल्ली समेत उत्तर के कई इलाकों में तापमान 52 डिग्री तक पहुंच गया।

उप्र, मप्र, बिहार, झारखंड व ओडिशा में स्थिति काबू से बाहर हो गई। भीषण गरमी के कारण सैकड़ों लोगों की मौत हो गई और हजारों हीट स्ट्रोक की चपेट में आ गए। बिजली की खपत इतनी बढ़ गई कि आपूर्ति संभव नहीं रही।

जल भंडारण तेजी से कम होता जा रहा है जिससे जल संकट बढऩे की आशंका से इंकार नहीं किया जा रहा। मौसम विज्ञानी इसे ला-नीनो इफेक्ट भी मान रहे हैं। उनका कहना है, जिस साल अल-नीनो खत्म होता है, उस साल तापमान थोड़ा बढ़ जाता है।

जलवायु परिवर्तन व प्राकृतिक परिवर्तनशीलता के दरम्यान जटिल परस्पर क्रिया के चलते भविष्य में लू के बढऩे की आशंका से इंकार नहीं किया जा रहा। याद हो तो इसी अप्रैल में इतनी भीषण गरमी पड़ी कि कहा गया कि यह 120 साल बाद हुआ।

भारत ही नहीं, दुनिया भर में इस जानलेवा गरमी की मार पड़ रही है जिसका असर कृषि व खाद्य सुरक्षा पर भी पड़ सकता है। कहीं बाढ़ तो कहीं सूखा तो होगा ही। सेहत संबंधी दिक्कतें भी बढऩे की आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं।

भीषण गरमी को रोकने के लिए विभिन्न सुझाव दिए जाते हैं मगर प्रकृति के इस प्रकोप से बच पाना अब आसान नहीं रहा। वनों की कटाई, प्राकृतिक संसाधनों के दुरुपयोग तथा कार्बन उत्सर्जन को थामने की बस बातें ही बनाई जा रही हैं। गरमी को रोकना अब आसान नहीं रहा।

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