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सशस्त्र सेना झंडा दिवस के अवसर पर, सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी को, विभाग के अधिकारियों ने लगाया फ्लैग।
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सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर सवाड़ चमोली में, मुख्यमंत्री धामी की महत्वपूर्ण घोषणाएँ।
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मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने किया, 108 करोड़ की योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास। 
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गौ सेवा है मानवता का आधार, रेखा आर्या।
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डीएम बंसल के निर्देश पर जनसेवा केंद्रों पर छापेमारी जारी, ऋषिकेश में जन सेवा केंद्र पर जिला प्रशासन ने लगाया ताला किया सील।
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डीएम सविन बंसल का एक्शन, जनमानस की सुरक्षा से खिलवाड़ नहीं होगा बर्दाश्त, गेल की सभी कार्य अनुमति निरस्त लगा 2 माह का प्रतिबंध।
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सीएम धामी सुबह सुबह पहुंचे सरयू घाट, लोगों से संवाद कर वहाँ चल रहे, विभिन्न विकास कार्यों का किया निरीक्षण।
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने, जनपद बागेश्वर में प्रबुद्ध जनों, राज्य आंदोलनकारियों, एसएचजी महिलाओं व, विभिन्न संगठनों संग किया संवाद।
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मुख्यमंत्री धामी का सख्त निर्देश, जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ समय पर पात्रों तक पहुँचे, लापरवाही बर्दाश्त नहीं।
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अग्निवीरों के बेहतर भविष्य की बुनियाद हो

अग्निवीरों के बेहतर भविष्य की बुनियाद हो

अग्निपथ योजना सशस्त्र बलों की तीन सेवाओं में सैनिकों की भर्ती के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू की गई योजना है, जिसकी घोषणा जून 2022 में की गई। योजना के तहत भर्ती जवानों को अग्निवीर कहा जाता है।

सरकार ने अब इस योजना की समीक्षा का कार्य दस अलग-अलग मंत्रालयों के सचिवों को सौंपा है। वे इस भर्ती को अधिक आकषर्क बनाने के सुझाव भी देंगे। इसकी कमियों को दूर भी किया जा सकता है। यह भर्ती चार साल के लिए होती है, जिसमें नियमित वेतन के अतिरिक्त चार साल पूरे होने के बाद अग्निवीरों को लगभग बारह लाख रुपए मिलते हैं। निश्चित संख्या में तकरीबन पच्चीस फीसद अग्निवीरों को स्थायी सेवा का अवसर भी मिलता है।

माना जा रहा है कि अग्निवीर योजना के अंतर्गत वेतन भत्तों में बढ़ोतरी व अन्य लाभ का प्रस्ताव दिया जा सकता है। चूंकि यह योजना सरकार के प्रथम सौ दिन के एजेंडे में शामिल है इसलिए अधिकारी अपनी विस्तृत प्रस्तुति जल्दी ही प्रधानमंत्री कार्यालय को देंगे। आम चुनाव के दौरान इस योजना को विपक्ष द्वारा लगातार निशाने पर रखा गया था। वे अग्निवीर योजना को युवाओं के भविष्य के प्रति खिलवाड़ की तरह पेश कर रहे थे।

साथ ही सत्ता में आने पर इसे समाप्त करने की भी बात की जा रही थी। यह मोदी सरकार की रोजगार योजना का अभिन्न हिस्सा है। हालांकि विशेषज्ञों व पूर्व सैनिकों की दलील है कि मात्र छह माह के प्रशिक्षण से सैनिक नहीं तैयार होता। दूसरे, पूर्व-अग्निवीरों को अर्ध-सैनिक बलों या पुलिस बलों जैसी सेवाओं में शामिल न किए जाने को लेकर सरकार की बहुत आलोचना हो रही है। इतना ही नहीं बल्कि इसे मायावी रोजगार कहा जा रहा है।

इन्हें देश के सशस्त्र बलों में सेवा के लिए अयोग्य भी घोषित किए जाने को लेकर विवाद है। सेवा की इस अल्प अवधि यानी चार साल बाद ये युवा पुन: बेरोजगारों की श्रेणी में आ जाएंगे। ऐसे में इन्हें अप्रशिक्षित कामगारों के तौर पर काम के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। बाइस साल उम्र में जब ये युवा सेवा से बाहर होंगे तो नए सिरे से इन्हें काम की तलाश में भटकना पड़ सकता है। लाजमी है, सरकार ने इसी तरह की समस्याओं को सुलझाने के लिए समीक्षा व सुझाव की कोशिश की है। उम्मीद की जानी चाहिए, इसमें अग्निवीरों के बेहतर भविष्य की बुनियाद रखी जा सके।

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