देहरादून:- उत्तराखंड सरकार ने राज्य की एकल महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उनके लिए स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना की शुरुआत की है। इस योजना के अध्ययन और इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वित्त मंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल को मंत्री मंडलीय उप समिति का अध्यक्ष नामित किया है। यह समिति योजना की रूपरेखा तैयार करने और उसे कार्यान्वित करने के लिए महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश देगी।
मुख्यमंत्री ने वित्त मंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल को इस महत्वपूर्ण समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया है। इस समिति में सचिव वित्त और निदेशक महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास भी शामिल होंगे। समिति की पहली बैठक आगामी दो जुलाई 2024 को आयोजित की जाएगी। इस बैठक में योजना की प्रथम दृष्टया रूपरेखा तैयार की जाएगी और राज्य की महिलाओं के कल्याण हेतु कार्ययोजना बनाई जाएगी। बैठक की अध्यक्षता उप समिति के अध्यक्ष वित्त मंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा की जाएगी।
उत्तराखंड में एकल महिलाओं की संख्या बढ़ती जा रही है, जिनमें विधवा, तलाकशुदा, परित्यक्ता और अविवाहित महिलाएं शामिल हैं। इन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए यह योजना महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। एकल महिलाएं अक्सर आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना करती हैं, और इस योजना के माध्यम से उन्हें स्थायी रोजगार के अवसर प्रदान कर उनकी स्थिति में सुधार किया जा सकता है।
योजना के उद्देश्य
1. आर्थिक सशक्तिकरण: एकल महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान कर उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाना।
2. स्वरोजगार के साधन: महिलाओं को स्वरोजगार के विभिन्न साधन उपलब्ध कराना जैसे कि सिलाई, बुनाई, हस्तशिल्प, कृषि आधारित उद्योग आदि।
3. प्रशिक्षण और कौशल विकास: महिलाओं को विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाना।
4. वित्तीय सहायता: महिलाओं को स्वरोजगार शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता और ऋण प्रदान करना।
5. समाज में सम्मान: महिलाओं को आत्मनिर्भर बना कर उन्हें समाज में सम्मानित स्थान दिलाना।
योजना की रूपरेखा
योजना की रूपरेखा तैयार करने के लिए समिति आगामी दो जुलाई को बैठक करेगी। इस बैठक में निम्नलिखित बिंदुओं पर विचार किया जाएगा:
1. महिलाओं की पहचान: एकल महिलाओं की पहचान और उनके डेटा का संकलन।
2. प्रशिक्षण कार्यक्रम: महिलाओं के लिए विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करना।
3. वित्तीय सहायता: स्वरोजगार के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता और ऋण योजनाओं की तैयारी।
4. अनुश्रवण और मूल्यांकन: योजना के कार्यान्वयन और उसके परिणामों का नियमित अनुश्रवण और मूल्यांकन।
5. सहयोग और समन्वय: विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के साथ समन्वय और सहयोग।
योजना के संभावित लाभ
1. आत्मनिर्भरता: एकल महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
2. रोजगार के अवसर: स्वरोजगार के माध्यम से महिलाओं को रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे।
3. सामाजिक सम्मान: महिलाओं को समाज में सम्मानित स्थान मिलेगा और उनकी सामाजिक स्थिति में सुधार होगा।
4. सामुदायिक विकास: एकल महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण से समुदाय का समग्र विकास होगा।
मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना उत्तराखंड की एकल महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। वित्त मंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल की अध्यक्षता में गठित मंत्री मंडलीय उप समिति इस योजना को सफलतापूर्वक कार्यान्वित करने के लिए कार्य करेगी। इस योजना के माध्यम से एकल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के प्रयास किए जाएंगे। यह योजना न केवल महिलाओं के लिए बल्कि राज्य के समग्र विकास के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगी।