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सीएम धामी ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे0 पी0 नड्डा को, पत्र लिखकर AIIMS ऋषिकेश में, मल्टी ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन सर्जरी विभाग’ की स्थापना का किया अनुरोध।
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डीएम सविन बंसल का निर्देश, सभी विभाग तुरंत करें पोर्टल पर प्रगति अपडेट, देरी या बहाने क्षम्य नहीं।
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एसजीआरआरआईएमएण्डएचएस , देहरादून में कैडैवरिक ओथ समारोह संपन्न।
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सीएम धामी की अध्यक्षता में हुई मंत्रीमंडल की बैठक, कुल 19 महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर लगी मुहर।
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मुख्यमंत्री के 4 वर्ष की उपलब्धियों पर, आयोजित हुई विचार गोष्ठी, विशेषज्ञों ने मुख्यमंत्री के कार्यकाल को बताया बेमिसाल।
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सीएम धामी ने मेरी योजना’ पुस्तक पर विचार गोष्ठी व, my scheme.gov.in उत्तराखण्ड पोर्टल का किया लोकार्पण।
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को, सल्ट विधायक महेश सिंह जीना ने भेंट किए, उत्तराखंड के पारंपरिक पहाड़ी उत्पाद। 
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कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने, पिथौरागढ़, डीडीहाट का किया दौरा, पैतृक गांव पहुंचकर ग्रामीणों की सुनी समस्याएं।
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स्वदेशी उद्यमिता का आधार है महिलाएं, रेखा आर्या।
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आपातकाल स्कूल-कॉलेज पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए- बंसल

आपातकाल स्कूल-कॉलेज पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए- बंसल

नई दिल्ली। संसद भवन मे संसद बजट सत्र के पहले दिन सासंद राज्यसभा व भाजपा राष्ट्रीय सह-कोषाध्यक्ष डा. नरेश बंसल ने शून्यकाल मे एक गंभीर विषय उठाया। डा. नरेश बंसल ने आपातकाल से संबंधित विषय उठाया। डा. नरेश बंसल ने सदन के माध्यम से सरकार से मांग कि की वर्तमान पीढ़ी को आपातकाल के दौरान संघर्ष से अवगत कराने के उद्देश्य से देश में व्याप्त परिस्थितियों, दमन और तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा उठाए गए कठोर कदम का विरोध करने के लिए लोकतंत्र सेनानियों के दृढ़ संकल्प पर अध्याय स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। डा.नरेश बंसल ने शून्यकाल मे इस विषय को उठाते हुए कहा कि आपातकाल भारत के लोकतंत्र का काला अध्याय है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। उस समय रक्षक ही भक्षक बन गए थे। आजादी के बाद इसे लोकतंत्र की दूसरी आजादी का भी नाम दिया गया।

डा.नरेश बंसल ने कहा कि इंदिरा गांधी की सरकार द्वारा 1975-77 में आपातकाल ने देश के लोकतंत्र पर कलंक लगाया था।आपातकाल 21 महीने तक चला था, जिसमें नागरिक स्वतंत्रता का हनन, असहमति का दमन और लोकतांत्रिक सिद्धांतों का हनन हुआ था। इसके साथ ही हज़ारों लोगों को बिना कारण बताए जेल में ठूंसा जाने लगा।उन्होनें कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए अनेकों अनेक लोग बलिदान हुए।
डा. नरेश बंसल ने कहा कि आपातकाल का वह स्याह कालखंड लोकतंत्र सेनानियों के लिए एक दुस्वप्न है। आज भी उस दौर को याद कर लोकतंत्र सेनानियों की आंखें नम हो जाती हैं। डा. नरेश बंसल ने जोर देते हुए कहा कि इस समय के पक्ष-विपक्ष के ज्यादातर नेता खुद आपातकाल की ज्यादतियों का शिकार हुए हैं।

डा. नरेश बंसल ने सदन के माध्यम से केंद्र सरकार से मांग कि की देश में 1975-77 में आपातकाल के दौरान की गई ज्यादतियों और दमन का विरोध करने वालों की ओर से की गई लड़ाई को समझाने वाला एक अध्याय स्कूल एवं कॉलेज के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। डा. नरेश बंसल ने अपनी मांग मे कहा कि की सभी छात्रों के लिए पाठ्य पुस्तकों में एक पाठ होना चाहिए कि आपातकाल क्या था और इसे कैसे लगाया गया था? डा. नरेश बंसल ने कहा कि आपातकाल को अगर सही तरीके से पाठ्यपुस्तकों में स्थान दिया जाए तो लोकतांत्रिक शक्तियों का विकास होगा और प्रजातंत्र की जड़ें मजबूत करने में मदद मिलेगी ।

डा. नरेश बंसल ने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आपातकाल लगाकर इंदिरा की सरकार ने भारत के संविधान का गला घोंट दिया था। आज उनके परिवार और उनके पार्टी के लोग संविधान दिखाकर झूठ फैलाने का कार्य कर रहे हैं। कांग्रेस ने जो लोकतंत्र के साथ विश्वासघात किया, उसे कभी भी माफ नहीं किया जा सकता है।

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