कांग्रेस पार्टी के पूर्व महानगर अध्यक्ष लालचन्द शर्मा ने कहा कि 58 वर्ष पूर्व आरएसएस की गतिविधियों को संदिग्ध मानते हुए सरकारी सेवकों को शाखाओं में शामिल होने पर तत्कालीन सरकार द्वारा यह कहते हुए प्रतिबंध लगाया गया था कि भारत धर्मनिरपेक्ष देश है तथा आरएसएस धर्म विशेष की प्रचारक संस्था है। आज भाजपा सरकार द्वारा जहां सरकारी सेवा में रहते हुए आरएसएस की शाखाओं में शामिल होने की छूट दे दी गई है जो कि भारत की धर्मनिरपेक्ष छबि के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। उन्होंने कहा कि यदि आरएसएस की शाखाओं में शामिल होने की छूट दी जा सकती है तो फिर शिक्षण संस्थाओं में कार्यरत शिक्षकों एवं अन्य सरकारी सेवा के कर्मियों को सभी राजनैतिक दलों की सदस्यता ग्रहण करने की भी छूट दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि शाखाओं में शामिल होने की छूट के पीछे भाजपा का छुपा ऐजेंडा है तथा इसके उपरान्त सरकारी सेवकों पर केन्द्र व राज्य सरकारों की ओर से जबरन प्रतिभाग करने का दबाव डाला जायेगा।
लालचन्द शर्मा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी अपने गुप्त ऐजेंडे के तहत देश की धर्मनिरपेक्ष छबि को छिन्न-भिन्न करना चाहती है तथा देश के संविधान को अपनी सुविधानुसार बदलना चाहती है जिसका प्रचार भाजपा लोकसभा चुनाव में भी कर चुकी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार के इस कदम का कड़ा विरोध करती है।