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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने, जनपद बागेश्वर में प्रबुद्ध जनों, राज्य आंदोलनकारियों, एसएचजी महिलाओं व, विभिन्न संगठनों संग किया संवाद।
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मुख्यमंत्री धामी का सख्त निर्देश, जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ समय पर पात्रों तक पहुँचे, लापरवाही बर्दाश्त नहीं।
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डीएम सविन बंसल के निर्देश पर, एसडीएम एवं नगर आयुक्त ऋषिकेश के नेतृत्व में, चंद्रभागा में अवैध अतिक्रमण ध्वस्त।
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कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने, मसूरी विधानसभा क्षेत्र में लगभग 20 करोड़ की लागत से, विभिन्न विकास कार्यों का किया  शिलान्यास।
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कुम्भ मेले में देवडोलियों व लोक देवताओं के प्रतीकों, एवं चल विग्रहों के स्नान और शोभा यात्रा की भव्य व्यवस्थाएं।
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डीएम सविन बंसल संग अर्ली मॉर्निंग वॉक, बढा गई बौद्धिक दिव्यांगजन का हौसला।
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धामी सरकार की बडी पहल, अब गढ़वाल मंडल भी जुडा हवाई सेवाओं से, देहरादून से टिहरी-श्रीनगर-गौचर अब हवाई मार्ग से जुड़े।
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राजभवन का नाम लोक भवन होने पर, राज्यपाल को बधाई एवं शुभकामनाएं दी, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी।
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मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की, पुण्य तिथि पर उनके चित्र पर श्रद्धासुमन किए अर्पित।
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हसीना का हटना भारत विरोधी ताकतों में मजबूती

हसीना का हटना भारत विरोधी ताकतों में मजबूती

डॉ. ब्रह्मदीप अलूने
बांग्लादेश में राजनीति बंद, विरोध, गरीबी और आतंकवाद से बाहर निकल कर विकास के मुद्दे पर आगे बढ़ रही थी, लेकिन शेख हसीना के सत्ता से हटते ही अब वह सफर थम जाने का अंदेशा है।

बांग्लादेश की राजनीति में दूसरा बड़ा चेहरा खालिदा जिया हैं। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की यह नेता अब ताकतवर होंगी। खालिदा को जहां कट्टरपंथी ताकतों का समर्थक माना जाता है वहीं हसीना उदार और भारत समर्थक मानी जाती हैं। बांग्लादेश की राजनीति के केंद्र में भारत समर्थन और भारत विरोध की शक्तियां समानांतर कार्य करती हैं। इस साल बांग्लादेश में आम चुनाव से पहले प्रधानमंत्री हसीना ने सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी का घोषणापत्र जारी करते हुए कहा था कि अगर उनकी पार्टी चुनाव जीतती है तो भारत के साथ सहयोग जारी रहेगा।

यह भी स्पष्ट भी किया गया था कि भारत के साथ भूमि सीमाओं के सीमांकन और परिक्षेत्रों के आदान-प्रदान की लंबे समय से चली आ रही समस्या का समाधान हो गया है। हसीना के कार्यकाल में बांग्लादेश ने अपने क्षेत्र में उग्रवादियों, अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों और अलगाववादी समूहों की उपस्थिति को रोकने के लिए दृढ़ता दिखाई और इससे भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में शांति की स्थापना में बड़ी मदद मिली।
खालिदा की राजनीति भारत के हितों पर चोट करने वाली और पाकिस्तान  के ज्यादा करीब नजर आती है। करीब डेढ़ दशक पहले बीएनपी सरकार के दौरान इस्लामिक कट्टरपंथियों को बड़ी मदद मिली। बीएनपी की जमात और इस्लामिक कट्टरपंथियों से पुरानी करीबी है। खालिदा की सहयोगी पार्टी जमात-ए-इस्लामी को देश की सबसे बड़ी इस्लामी राजनीतिक पार्टी माना जाता है। जेआईबी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के गठबंधन का सदस्य रह चुकी है।

1971 में स्वतंत्रता युद्ध में इस दल ने पाकिस्तान का समर्थन किया था। बाद में यह बांग्लादेश के इस्लामीकरण के प्रयास में जुटकर एक सक्रिय दल के रूप में उभरा। जमात-ए-इस्लामी वही संगठन है, जिसने तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा किए जाने के बाद बांग्लादेश बनेगा अफगानिस्तान जैसे नारे गढ़े हैं। यह इस्लाम के कट्टर और रूढि़वादी रूप को बांग्लादेश में लाना चाहता है। जमात-ए-इस्लामी का सहयोगी संगठन है हुजी। हरकत-उल-जिहाद-अल इस्लामी बांग्लादेश नामक यह आतंकी संगठन कथित तौर पर ओसामा बिन लादेन को अपना आदर्श मानता रहा है। इस संगठन की मांग है कि बांग्लादेश को इस्लामिक स्टेट में बदल दिया जाए। हुजी-बी का लक्ष्य बांग्लादेश में युद्ध छेडक़र और प्रगतिशील बुद्धिजीवियों की हत्या करके इस्लामी हुकूमत स्थापित करना है।

दो दशक पहले भारत के गृह मंत्रालय ने एक दस्तावेज तैयार किया था, जिसका शीषर्क था-पाकिस्तान के वैकल्पिक परोक्ष युद्ध का आधार। इसमें पाकिस्तान द्वारा अपनी विध्वंसात्मक गतिविधियों को तेज करने के लिए चलाए गए नये ऑपरेशन के बारे में उल्लेख था।  इस दस्तावेज में खास तौर पर बताया गया था कि पाकिस्तान अपने भारत विरोधी अभियानों के लिए बांग्लादेश को एक नये आधार के रूप में विकसित कर रहा है। इस बात का भी खुलासा था कि पाकिस्तान ने लगभग 200 आतंकवादी प्रशिक्षण कैंपों को पहले ही अपने यहां से हटाकर बांग्लादेश में व्यवस्थित करवा चुका है।

भारत और बांग्लादेश के बीच गहरे सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और भू-राजनीतिक संबंधों के कारण हूजी को जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। हूजी कार्यकर्ता कथित तौर पर भारत के पूर्वी गलियारे में अक्सर घुसपैठ करते हैं ताकि क्षेत्र के आतंकवादी और विध्वंसक संगठनों के साथ संपर्क बनाए रख सकें। हूजी को भारत में कई स्थानों पर आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार पाया गया है। यह अलकायदा तथा तालिबान मिलिशिया से मजबूत संबंधों के बूते दक्षिण एशिया के कई देशों में कट्टरपंथी ताकतों को बढ़ावा दे रहा है। पूर्व सोवियत संघ के खिलाफ युद्ध में मुजाहिदीन के साथ लडऩे के लिए बड़ी संख्या में मुजाहिदीन अफगानिस्तान गए थे।

1990 के दशक में बेगम खालिदा जिया के राजनीतिक दल बीएनपी शासन के दौरान इनमें से बड़ी संख्या में मुजाहिदीन बांग्लादेश लौट आए और अब देश में कट्टरपंथी आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। हूजी के असम से भी संबंध हैं। हूजी कथित तौर पर बांग्लादेश में चटगांव पहाड़ी इलाकों में स्थित उल्फा के कुछ शिविरों का प्रबंधन करता है, जो भारतीय राज्य त्रिपुरा की सीमा पर स्थित हैं। बांग्लादेश में हुजी को बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी और जमात-ए-इस्लामी जैसी मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टयिों का संरक्षण प्राप्त है। हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी बांग्लादेश अर्थात हूजी देवबंदी समूह है, जो पाकिस्तान स्थित हूजी से संबद्ध है और इसका गठन 17 बांग्लादेशी मुजाहिदीन द्वारा किया गया था। इनका संबंध पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से है।

करीब चार हजार किमी. लंबी भारत- बांग्लादेश सीमा भौगोलिक और सांस्कृतिक जटिलताओं के कारण भारत के लिए सबसे बड़ा सुरक्षा संकट रही है। इसका फायदा आईएसआई खूब उठाती है और कई इलाकों में भारत के विरु द्ध विद्रोही संगठनों को आश्रय देकर और प्रशिक्षित करके भारत पर हमले करने के लिए प्रेरित करती है। आईएसआई बांग्लादेश के आतंकी संगठन हूजी से मिलकर असम, मिजोरम, मेघालय और मणिपुर को इस्लामिक कट्टरतावाद से जोडऩे के लगातार प्रयास करती रही है। जब से अवामी लीग की सरकार आई वह चरमपंथी संगठनों को दबाने की कोशिश कर रही थी और इसमें कुछ कामयाबी भी मिली थी।

आम तौर पर बांग्लादेश में हिन्दुओं को अवामी लीग गठबंधन का समर्थक बताया जाता है, और इसी कारण अल्पसंख्यक हिन्दू बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी और जमात-ए-इस्लामी के निशाने पर होते हैं। बांग्लादेश में इस साल हुए आम चुनाव में अवामी लीग की जीत के बाद वहां जिस तरह से विपक्ष द्वारा इंडिया आउट अभियान शुरू किया गया और उसे व्यापक समर्थन मिल रहा था, उससे देखते हुए कहा जा सकता है कि शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश में भारत विरोधी ताकतें मजबूत होंगी। ये स्थितियां भारत के लिए आंतरिक और सीमाई सुरक्षा का संकट बढ़ा सकती हैं, और इससे सतर्क रहने की जरूरत है।

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