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सीएम पुष्कर धामी स्वयं सड़क मार्ग से करेंगे, शीतकालीन पर्यटन व्यवस्थाओं का निरीक्षण।
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मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रदेश में संचालित किया जायेगा, ‘‘जन जन की सरकार-जन जन के द्वार’’ अभियान।
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47वीं ऑल इंडिया पब्लिक रिलेशन कॉन्फ्रेंस 2025 में, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया प्रतिभाग।
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दो माह में पूर्ण हो कण्डारस्यूं पेयजल योजना, डॉ धन सिंह रावत।
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SGRR विश्वविद्यालय एवम, श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के, स्वास्थ्य शिविर का 841 मरीजों ने उठाया लाभ।
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सुशासन में उत्कृष्टता के लिए, बंशीधर तिवारी को राष्ट्रीय सम्मान, मुख्यमंत्री धामी ने किया सम्मानित।
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एसजीआरआर मेडिकल काॅलेज एटलिटिका 2025 में, एमबीबीएस 2021 बैच ऑवरऑल चैम्पियन।
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डीएवी पीजी कॉलेज में 100 फीट ऊँचे राष्ट्रीय ध्वज की, स्थापना कार्यं का किया भूमि पूजन, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी।
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मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड महक क्रांति नीति, 2026-36 का किया शुभारम्भ, लगभग 23 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सुगंधित फसलों की होगी खेती।
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उत्तर प्रदेश के 9 विधानसभा उपचुनाव- 2027 के चुनावों का ट्रेलर या राजनीतिक बदलाव का संकेत?

उत्तर प्रदेश के 9 विधानसभा उपचुनाव- 2027 के चुनावों का ट्रेलर या राजनीतिक बदलाव का संकेत?

लखनऊ। राज्य के 9 विधानसभा उपचुनाव इन दिनों राजनीतिक चर्चा के केंद्र में हैं। ये चुनाव महज कुछ सीटों के लिए नहीं, बल्कि प्रदेश की राजनीतिक दिशा और भविष्य के समीकरण तय करने वाले हो सकते हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनावों की पृष्ठभूमि में इन उपचुनावों को अहम ट्रेलर माना जा रहा है।

मुख्य मुकाबला: योगी बनाम अखिलेश
इन उपचुनावों में बीजेपी (BJP) और समाजवादी पार्टी (SP) के बीच सीधी टक्कर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव इसे अपनी-अपनी प्रतिष्ठा से जोड़कर देख रहे हैं।
2024 में लोकसभा चुनावों में बीजेपी के प्रदर्शन में आई कमी ने पार्टी को रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया। योगी आदित्यनाथ इन उपचुनावों में व्यक्तिगत रूप से सक्रिय हैं, जबकि अखिलेश यादव अपनी पार्टी की साख बचाने और मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

जातीय समीकरण और क्षेत्रीय मुद्दे निर्णायक
उत्तर प्रदेश की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन 9 सीटों पर भी यह समीकरण चुनाव के परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं।

कटेहरी (अंबेडकरनगर): अनुसूचित जाति और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में। SP ने शोभावती वर्मा को उतारा है।
मझवां (मिर्जापुर): बिंद समुदाय के वर्चस्व वाली सीट। BJP और SP ने ओबीसी उम्मीदवार उतारे हैं।
फूलपुर (प्रयागराज): पटेल, यादव और मुस्लिम मतदाता अहम। BJP के दीपक पटेल और SP के मुज्तबा सिद्दीकी के बीच मुकाबला।
सीसामऊ (कानपुर): मुस्लिम बहुल क्षेत्र। SP ने इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को टिकट दिया।
कुंदरकी (मुरादाबाद): मुस्लिम बहुल सीट। SP और BJP के बीच सीधा मुकाबला।
गाजियाबाद शहर (गाजियाबाद): BJP का गढ़। BJP के संजीव शर्मा और SP के दलित उम्मीदवार राज जाटव के बीच लड़ाई।
खैर (अलीगढ़): जाट और एससी मतदाता प्रभावशाली। SP की चारू कैंन और BJP-बीएसपी के एससी उम्मीदवारों में टक्कर।
करहल (मैनपुरी): अखिलेश यादव की पारंपरिक सीट। SP के तेज प्रताप यादव और BJP के अनुजेश यादव के बीच मुकाबला।
मीरापुर (मुजफ्फरनगर): RLD और SP के गठबंधन का प्रभाव देखने को मिलेगा।

क्यों अहम हैं ये उपचुनाव?

ये चुनाव 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारी का आधार माने जा रहे हैं।
BJP और SP के लिए ये जनता के बीच अपनी साख को साबित करने का अवसर हैं।
BSP और RLD जैसी पार्टियों के लिए यह अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने की चुनौती है।

नतीजों से बदल सकता है राजनीतिक परिदृश्य
20 नवंबर को मतदान और 23 नवंबर को नतीजे आएंगे। ये नतीजे केवल हार-जीत की कहानी नहीं बताएंगे, बल्कि भविष्य की राजनीति की दिशा भी तय करेंगे।
उत्तर प्रदेश के ये उपचुनाव बीजेपी और एसपी के लिए बड़ी परीक्षा हैं। इनका प्रभाव न केवल वर्तमान राजनीति पर पड़ेगा, बल्कि आने वाले चुनावी समीकरणों को भी प्रभावित करेगा।

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