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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने, जनपद बागेश्वर में प्रबुद्ध जनों, राज्य आंदोलनकारियों, एसएचजी महिलाओं व, विभिन्न संगठनों संग किया संवाद।
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मुख्यमंत्री धामी का सख्त निर्देश, जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ समय पर पात्रों तक पहुँचे, लापरवाही बर्दाश्त नहीं।
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डीएम सविन बंसल के निर्देश पर, एसडीएम एवं नगर आयुक्त ऋषिकेश के नेतृत्व में, चंद्रभागा में अवैध अतिक्रमण ध्वस्त।
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कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने, मसूरी विधानसभा क्षेत्र में लगभग 20 करोड़ की लागत से, विभिन्न विकास कार्यों का किया  शिलान्यास।
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कुम्भ मेले में देवडोलियों व लोक देवताओं के प्रतीकों, एवं चल विग्रहों के स्नान और शोभा यात्रा की भव्य व्यवस्थाएं।
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डीएम सविन बंसल संग अर्ली मॉर्निंग वॉक, बढा गई बौद्धिक दिव्यांगजन का हौसला।
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धामी सरकार की बडी पहल, अब गढ़वाल मंडल भी जुडा हवाई सेवाओं से, देहरादून से टिहरी-श्रीनगर-गौचर अब हवाई मार्ग से जुड़े।
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राजभवन का नाम लोक भवन होने पर, राज्यपाल को बधाई एवं शुभकामनाएं दी, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी।
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मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की, पुण्य तिथि पर उनके चित्र पर श्रद्धासुमन किए अर्पित।
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उत्तर प्रदेश के 9 विधानसभा उपचुनाव- 2027 के चुनावों का ट्रेलर या राजनीतिक बदलाव का संकेत?

उत्तर प्रदेश के 9 विधानसभा उपचुनाव- 2027 के चुनावों का ट्रेलर या राजनीतिक बदलाव का संकेत?

लखनऊ। राज्य के 9 विधानसभा उपचुनाव इन दिनों राजनीतिक चर्चा के केंद्र में हैं। ये चुनाव महज कुछ सीटों के लिए नहीं, बल्कि प्रदेश की राजनीतिक दिशा और भविष्य के समीकरण तय करने वाले हो सकते हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनावों की पृष्ठभूमि में इन उपचुनावों को अहम ट्रेलर माना जा रहा है।

मुख्य मुकाबला: योगी बनाम अखिलेश
इन उपचुनावों में बीजेपी (BJP) और समाजवादी पार्टी (SP) के बीच सीधी टक्कर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव इसे अपनी-अपनी प्रतिष्ठा से जोड़कर देख रहे हैं।
2024 में लोकसभा चुनावों में बीजेपी के प्रदर्शन में आई कमी ने पार्टी को रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया। योगी आदित्यनाथ इन उपचुनावों में व्यक्तिगत रूप से सक्रिय हैं, जबकि अखिलेश यादव अपनी पार्टी की साख बचाने और मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

जातीय समीकरण और क्षेत्रीय मुद्दे निर्णायक
उत्तर प्रदेश की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन 9 सीटों पर भी यह समीकरण चुनाव के परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं।

कटेहरी (अंबेडकरनगर): अनुसूचित जाति और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में। SP ने शोभावती वर्मा को उतारा है।
मझवां (मिर्जापुर): बिंद समुदाय के वर्चस्व वाली सीट। BJP और SP ने ओबीसी उम्मीदवार उतारे हैं।
फूलपुर (प्रयागराज): पटेल, यादव और मुस्लिम मतदाता अहम। BJP के दीपक पटेल और SP के मुज्तबा सिद्दीकी के बीच मुकाबला।
सीसामऊ (कानपुर): मुस्लिम बहुल क्षेत्र। SP ने इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को टिकट दिया।
कुंदरकी (मुरादाबाद): मुस्लिम बहुल सीट। SP और BJP के बीच सीधा मुकाबला।
गाजियाबाद शहर (गाजियाबाद): BJP का गढ़। BJP के संजीव शर्मा और SP के दलित उम्मीदवार राज जाटव के बीच लड़ाई।
खैर (अलीगढ़): जाट और एससी मतदाता प्रभावशाली। SP की चारू कैंन और BJP-बीएसपी के एससी उम्मीदवारों में टक्कर।
करहल (मैनपुरी): अखिलेश यादव की पारंपरिक सीट। SP के तेज प्रताप यादव और BJP के अनुजेश यादव के बीच मुकाबला।
मीरापुर (मुजफ्फरनगर): RLD और SP के गठबंधन का प्रभाव देखने को मिलेगा।

क्यों अहम हैं ये उपचुनाव?

ये चुनाव 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारी का आधार माने जा रहे हैं।
BJP और SP के लिए ये जनता के बीच अपनी साख को साबित करने का अवसर हैं।
BSP और RLD जैसी पार्टियों के लिए यह अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने की चुनौती है।

नतीजों से बदल सकता है राजनीतिक परिदृश्य
20 नवंबर को मतदान और 23 नवंबर को नतीजे आएंगे। ये नतीजे केवल हार-जीत की कहानी नहीं बताएंगे, बल्कि भविष्य की राजनीति की दिशा भी तय करेंगे।
उत्तर प्रदेश के ये उपचुनाव बीजेपी और एसपी के लिए बड़ी परीक्षा हैं। इनका प्रभाव न केवल वर्तमान राजनीति पर पड़ेगा, बल्कि आने वाले चुनावी समीकरणों को भी प्रभावित करेगा।

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