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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने, जनपद बागेश्वर में प्रबुद्ध जनों, राज्य आंदोलनकारियों, एसएचजी महिलाओं व, विभिन्न संगठनों संग किया संवाद।
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मुख्यमंत्री धामी का सख्त निर्देश, जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ समय पर पात्रों तक पहुँचे, लापरवाही बर्दाश्त नहीं।
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डीएम सविन बंसल के निर्देश पर, एसडीएम एवं नगर आयुक्त ऋषिकेश के नेतृत्व में, चंद्रभागा में अवैध अतिक्रमण ध्वस्त।
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कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने, मसूरी विधानसभा क्षेत्र में लगभग 20 करोड़ की लागत से, विभिन्न विकास कार्यों का किया  शिलान्यास।
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कुम्भ मेले में देवडोलियों व लोक देवताओं के प्रतीकों, एवं चल विग्रहों के स्नान और शोभा यात्रा की भव्य व्यवस्थाएं।
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डीएम सविन बंसल संग अर्ली मॉर्निंग वॉक, बढा गई बौद्धिक दिव्यांगजन का हौसला।
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धामी सरकार की बडी पहल, अब गढ़वाल मंडल भी जुडा हवाई सेवाओं से, देहरादून से टिहरी-श्रीनगर-गौचर अब हवाई मार्ग से जुड़े।
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राजभवन का नाम लोक भवन होने पर, राज्यपाल को बधाई एवं शुभकामनाएं दी, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी।
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मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की, पुण्य तिथि पर उनके चित्र पर श्रद्धासुमन किए अर्पित।
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ओपिनियन और एग्जिट पोल सब गलत साबित हुए

ओपिनियन और एग्जिट पोल सब गलत साबित हुए

हरिशंकर व्यास
सोशल मीडिया में लगभग सन्नाटा है। यूट्यूब चैनल्स पर भी कोई खास शोर-शराबा नहीं है। मीडिया समूहों ने अपने चैनलों पर झारखंड विधानसभा के लिए पहले चरण के मतदान के बाद ओपिनियन पोल्स प्रसारित किए लेकिन किसी ने उन पर ध्यान नहीं दिया और न किसी ने उनको गंभीरता से लिया। चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों के आधार पर कोई भी पार्टी जीत का दावा भी नहीं कर रही है। मीडिया समूह खुद ही अपने सर्वेक्षण को लेकर भरोसे में नहीं हैं। सबसे दिलचस्प यह है कि लोकसभा चुनाव के समय तक जो ओपिनियन और एक्जिट पोल में जो बड़े नाम माने जाते थे वे तस्वीर से बाहर हो गए हैं। असल में लोकसभा चुनाव और उसके बाद हरियाणा विधानसभा चुनाव ने तमाम सर्वे एजेंसियों, मीडिया समूहों, सोशल मीडिया के योद्धाओं और यूट्यूब चैनल्स के पक्षपाती व अपेक्षाकृत निष्पक्ष पत्रकारों को भी गलत साबित कर दिया। किसी को समझ में नहीं आया कि आखिर क्या हुआ।

चार महीने में दूसरी बार ज्यादातर मीडिया समूह, सर्वे एजेंसियां और सोशल मीडिया के राजनीतिक विश्लेषक गलत साबित हुए। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में ज्यादातर मीडिया समूहों और सर्वे एजेंसियों ने भाजपा की जीत की भविष्यवाणी की थी। कई समूह तो ऐसे थे, जिन्होंने एक्जिट पोल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘अबकी बार चार सौ पार’ के नारे को साकार होता देखा था। भाजपा को तीन सौ से चार या उससे भी ज्यादा सीटें मिलने की भविष्यवाणी की जा रही थी। हालांकि ‘नया इंडिया’ के इसी ‘गपशप’ कॉलम में चार जून के नतीजों से ठीक पहले वाले शनिवार यानी एक जून को संभावित नतीजों की टेबल छपी थी, जिसमें भाजपा को 235 सीटें  मिलने का अनुमान लगाया गया था।

ओपिनियन और एक्जिट पोल सब गलत साबित हुए। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने 204 सीटें जीत ली और भाजपा 240 सीट पर रह गई। उसके बाद हुए हरियाणा और जम्मू कश्मीर के चुनाव में तमाम सर्वे एजेंसियों और मीडिया समूहों ने सावधानी बरती। फिर भी सब गलत साबित हुए। लगभग सभी सर्वेक्षणों में कांग्रेस को जीतते हुए दिखाया गया था। लेकिन सारी अटकलों को गलत साबित करते हुए भाजपा तीसरी बार जीत गई। उसके बाद दो तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिली। एक प्रतिक्रिया में कांग्रेस पर जोरदार हमला हुआ। राहुल गांधी के करीबी नेताओं पर टिकट बेचने और 10 तरह की गड़बड़ी के आरोप लगे। दूसरी प्रतिक्रिया ईवीएम के जरिए भाजपा के जीत जाने की थी।

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