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मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की, पुण्य तिथि पर उनके चित्र पर श्रद्धासुमन किए अर्पित।
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दैनिक वेतन संविदा नियत वेतन अंशकालिक, तथा तदर्थ रूप में नियुक्त कार्मिकों का विनियमितीकरण नियमावली जारी।
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की स्वीकृति के क्रम में, गन्ना की मूल्य वृद्धि का शासनादेश हुआ जारी। 
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डीएम सविन बंसल ने रायपुर में, EVM-VVPAT वेयरहाउस का निर्धारित, प्रोटोकॉल के अनुरूप त्रैमासिक किया निरीक्षण।
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मुख्यमंत्री धामी का सख्त निर्देश, हर माह की 5 तारीख तक समाज कल्याण की, सभी पेंशन अनिवार्य रूप से पहुँचेगी खातों में।
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दिव्यांग शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की होगी जांच, गलत लाभ लेने वालों पर होगी कठोर कार्यवाही, डॉ. धन सिंह रावत।
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मुख्यमंत्री द्वारा प्रदत्त निर्देशों के क्रम में, सूचना महानिदेशक की अध्यक्षता में गठित समितियों द्वारा, पत्रकारों के कल्याण एवं सम्मान के लिए महत्वपूर्ण निर्णय।
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शक्ति कॉलोनी में स्वीकृत लागत, ₹303.46 लाख की सीवरेज योजना का किया शिलान्यास, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी।
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से, परिवीक्षाधीन पीसीएस अधिकारियों ने की भेंट।
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बाइडन बहुत कमजोर राष्ट्रपति साबित हुए।

बाइडन बहुत कमजोर राष्ट्रपति साबित हुए।

श्रुति व्यास
जो बाइडन का राष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल अंत की ओर है। उन्हें जनवरी में व्हाइट हाउस छोडऩा है इसलिए उन्हे अपना सामान बांधना है तो अपनी विरासत को भी संवारना है। उन्होंने 44वें राष्ट्रपति के रूप में जब पद संभाला था तब उन्हें उम्मीद थी कि वे ऐसी विरासत छोड़ जाएंगे जिसके चलते उन्हें  फ्रैंकलिन डी रूज़वेल्ट (एफडीआर) के बाद अमेरिका के सबसे प्रगतिशील राष्ट्रपति के रूप में याद किया जाएगा। लेकिन तकदीर को कुछ और मंजूर था। बाइडन बहुत कमज़ोर राष्ट्रपति साबित हुए है और वे कलह से भरी दुनिया छोड़े जा रहे हैं।

कोई शक नहीं कि जो बाइडन का पद छोडऩा और डोनाल्ड ट्रंप का उनकी जगह लेना सत्ता के अन्य हस्तांतरणों की तुलना में बहुत डरावना है क्योंकि कई युद्ध जारी हैं। एक नयी जंग छिडऩे के आसार नजऱ आ रहे हैं। बाइडन प्रशासन अपने अंतिम दिनों में अधिक से अधिक काम निपटाने में जुटा हुआ है। उसे पर्दा गिरने से पहले बहुत कुछ करना है।

पहला मसला है यूक्रेन का बाइडन ने बहुत समय बर्बाद करने के बाद यूक्रेन को अमेरिका द्वारा दी गईं लंबी दूरी की मिसाइलों का इस्तेमाल करने की इजाजत दी है। वे पूरी कोशिश कर रहे हैं कि कांग्रेस ने यूक्रेन की सैन्य सहायता के लिए 6 अरब डालर की जो मंजूरी दी थी, उसकी बची हुई रकम उनके व्हाइट हाउस छोडऩे के पहले खर्च कर दी जाए। इस ह्रदय परिवर्तन का कारण शायद यह है कि रूस की मदद के लिए हजारों उत्तर कोरियाई सैनिकों को अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर दिया गया है जिसे अमेरिका युद्ध के विस्तार के रूप में देख रहा है।

पश्चिमी मिसाइलों का इस्तेमाल रूस के भीतरी इलाकों पर हमले के लिए करने की इजाजत यूक्रेन को देकर बाइडन ने न केवल उत्तर कोरिया को बल्कि पुतिन को भी सन्देश दिया है। हालांकि इस फैसले से अग्रिम मोर्चों पर यूक्रेन की कमजोर स्थिति में कोई नाटकीय बदलाव नहीं होगा, लेकिन इससे यूक्रेन का मनोबल बढ़ेगा और 20 जनवरी के बाद ट्रंप की पहल पर होने वाली संभावित वार्ताओं में उसका पक्ष मजबूत होगा। ऐसा बताया जाता है कि ट्रम्प ने पुतिन को फ़ोन कर कहा है कि वे युद्ध को और तेज न करें। मगर क्रेमलिन का कहना है कि ऐसा कोई फ़ोन नहीं आया।

दूसरा मसला है पश्चिम एशिया में युद्ध का। गाजा में शुरू हुआ युद्ध लेबनान तक पहुंच गया है और अब शायद उसकी लपटें ईरान तक पहुँच जाएँ। इस मामले में एक और नया घटनाक्रम है। अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने बेंजामिन नेतन्याहू को गिरफ्तार करने की बात कही है। बाइडन ने इसे असहनीय बताकर अमेरिका के पाखण्ड को उजागर किया है। फिर युद्धविराम की बातें भी हो रही हैं। इजराइल की कैबिनेट ने कल रात एक बैठक में हिजबुल्ला के खिलाफ 14 महीनों से चल रहे युद्ध को विराम देने को मंजूरी दी है।

पहले से लिखी जा चुकी पटकथा का यह बहुत खूबसूरत मंचन था। नेतन्याहू ने टेलीविजऩ पर आकर अपने देश की जनता को समझौते के बारे में बताया। फिर जो बाइडन ने व्हाइट हाउस के रोज़ गार्डन में इसे एक ‘ऐतिहासिक मौका’ बताया। अब ऐसी उम्मीद है कि युद्ध ख़त्म हो सकता है। अमेरीका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा, “हमास का पहले दिन से ही प्रयास रहा है कि वह इस युद्ध में दूसरों को भी घसीट ले। अगर उसे लगेगा कि नए दस्ते लड़ाई के मैदान की ओर कूच नहीं कर रहे हैं तो हमास वह करेगा जो इस लड़ाई को ख़त्म करने के लिए ज़रूरी है।” अमेरिका को अब उम्मीद है कि लेबनान के साथ हुए समझौते से गाजा में चल रही लड़ाई रुकेगी।
जो हुआ उससे डोनाल्ड ट्रम्प खुश नहीं होंगे। उन्होंने अक्टूबर में लेबनानी-अमरीकी मतदाताओं से वायदा किया था कि वे उनकी मातृभूमि में लड़ाई बंद करवा देंगे। मगर बाइडन के शांति दूत बन जाने से वे यह श्रेय लेने से वंचित रह गए हैं।

बाइडन अब केवल 55 दिनों तक राष्ट्रपति रहेंगे। जाहिर है कि वे जल्दी में हैं। वे नेपथ्य की ओर खिसकते जा रहे हैं और मंच की स्पॉटलाइट अब उन पर नहीं है। उनका उत्तराधिकारी आने वाले दिनों को आकार देने में जुटा हुआ है। मगर इस सबके बावजूद ओवल ऑफिस में तो अभी वे ही बैठते हैं। उनके कार्यकाल का उपसंहार लिखा जाना बाकी है। वे चाहेंगे कि उन्हें एक ऐसे राष्ट्रपति के रूप में याद किया जाए जिसने लम्बे समय से चली आ रही दुश्मनियों को ख़त्म किया न कि ऐसे राष्ट्रपति के रूप में जो अपने उत्तराधिकारी के लिए समस्याओं का पहाड़ छोड़ गया।

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