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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने, जनपद बागेश्वर में प्रबुद्ध जनों, राज्य आंदोलनकारियों, एसएचजी महिलाओं व, विभिन्न संगठनों संग किया संवाद।
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मुख्यमंत्री धामी का सख्त निर्देश, जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ समय पर पात्रों तक पहुँचे, लापरवाही बर्दाश्त नहीं।
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डीएम सविन बंसल के निर्देश पर, एसडीएम एवं नगर आयुक्त ऋषिकेश के नेतृत्व में, चंद्रभागा में अवैध अतिक्रमण ध्वस्त।
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कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने, मसूरी विधानसभा क्षेत्र में लगभग 20 करोड़ की लागत से, विभिन्न विकास कार्यों का किया  शिलान्यास।
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कुम्भ मेले में देवडोलियों व लोक देवताओं के प्रतीकों, एवं चल विग्रहों के स्नान और शोभा यात्रा की भव्य व्यवस्थाएं।
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डीएम सविन बंसल संग अर्ली मॉर्निंग वॉक, बढा गई बौद्धिक दिव्यांगजन का हौसला।
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धामी सरकार की बडी पहल, अब गढ़वाल मंडल भी जुडा हवाई सेवाओं से, देहरादून से टिहरी-श्रीनगर-गौचर अब हवाई मार्ग से जुड़े।
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राजभवन का नाम लोक भवन होने पर, राज्यपाल को बधाई एवं शुभकामनाएं दी, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी।
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मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की, पुण्य तिथि पर उनके चित्र पर श्रद्धासुमन किए अर्पित।
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की, पुण्य तिथि पर उनके चित्र पर श्रद्धासुमन किए अर्पित।

सरकार की नीतियों और कामकाज का उल्लेख।

सरकार की नीतियों और कामकाज का उल्लेख।

भारत के संसदीय लोकतंत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण की परंपरा वर्षों पुरानी है। संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक, लोक सभा के प्रत्येक आम चुनाव के बाद, पहले सत्र में सदस्यों के शपथ ग्रहण करने और सदन का अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद राष्ट्रपति दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करता है। यह अभिभाषण सरकार का नीति वक्तव्य होता है। इसमें सरकार की नीतियों और कामकाज का उल्लेख रहता है, इसलिए सरकार के द्वारा ही इसके मसौदे को तैयार किया जाता है। परंपरा तो यह रही है कि इस सबसे गरिमापूर्ण औपचारिक कार्यवाही के दौरान विपक्ष शांतिपूर्ण ढंग से इसे सुनता है।

अभिभाषण के बाद जब सदन में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा होती है तो विपक्षी सांसदों को अपनी आपत्तियों और असहमतियों को दर्ज कराने का अवसर मिलता है लेकिन देखा जा रहा है कि कुछ वर्षो से राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान विपक्षी दलों के सांसद सदन में शोरगुल करते हैं और हंगामा बरपाते हैं। अठारहवीं लोक सभा में जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दोनों सदनों को संबोधित करते हुए मोदी सरकार के पिछले दस वर्षो के कामकाज और उपलब्धियों का जिक्र किया तो विपक्षी दलों के सांसदों ने सदन में शोरगुल मचाना शुरू कर दिया। राष्ट्रपति को निवेदन करना पड़ा कि वे शांतिपूर्ण ढंग से उनके अभिभाषण को सुनें।

राष्ट्रपति मुर्मू ने इस समय के सबसे ज्वलंत राष्ट्रीय मुद्दे के रूप में पेपर लीक की घटनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने पेपर लीक की घटनाओं को बहुत गंभीरता से लिया है और इसे रोकने के लिए कड़े उपाय कर रही है। जाहिर है कि पेपर लीक का मामला सीधे-सीधे देश के छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ जुड़ा हुआ है। निश्चित रूप से सरकार को ऐसे सख्त कदम उठाने चाहिए कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

राष्ट्रपति ने युवाओं की बात को आगे बढ़ाते हुए जब यह कहना शुरू किया कि सरकार की कोशिश है कि देश के युवाओं को अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने का अवसर मिले तो उनके इतना भर कहने पर विपक्ष के सदस्यों ने सदन के अंदर हंगामा करना शुरू कर दिया।
उन्होंने पच्चीस जून, 1975 को देश की जनता पर आपातकाल थोपे जाने की घटना को संविधान और लोकतंत्र पर बड़ा हमला बताया। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी असंवैधानिक ताकतों पर देश ने विजय हासिल की क्योंकि भारत के मूल्यों में गणतंत्र की ही परंपराएं हैं।

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