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एसजीआरआर मेडिकल काॅलेज एटलिटिका -2025 में, प्रद्यूमन ने लगाई सबसे लम्बी छलांग।
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सीएम धामी ने उत्तराखंड के प्रथम मुख्यमंत्री, नित्यानंद स्वामी की पुण्यतिथि पर उनके चित्र पर श्रद्धासुमन  किए अर्पित।
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स्वास्थ्य विभाग को मिले 10 और नये विशेषज्ञ चिकित्सक, विभागीय मंत्री डॉ. रावत ने दिया, तैनाती प्रस्ताव को मंजूरी। 
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कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने, सीएनआई गर्ल्स इंटर कॉलेज के वार्षिकोत्सव समारोह में किया प्रतिभाग।
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मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुयी, रोप-वे विकास समिति की बैठक, रोप-वे प्रस्तावों को समिति से स्वीकृति लेना अनिवार्य।
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विशेष बच्चों को मातृत्व देना सबसे बड़ा पुण्य, रेखा आर्या।
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सर्किट हाउस काठगोदाम में, कृषि, उद्यान, सैनिक कल्याण और ग्राम्य विकास विभागों की समीक्षा की, मंत्री गणेश जोशी।
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मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के नेतृत्व में, HEOC निर्माण में अभूतपूर्व प्रगति, उत्तराखंड की स्वास्थ्य सुरक्षा की दिशा में बड़ी छलांग।
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मानव–वन्यजीव संघर्ष मामलों में, लापरवाही बरतने पर पौड़ी के डीएफओ पर गिरी गाज।
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बारिश से जन-जीवन अस्त-व्यस्त

बारिश से जन-जीवन अस्त-व्यस्त

राजधानी दिल्ली में बारिश ने 88 वर्षो का रिकॉर्ड तोड़ते हुए जन-जीवन बुरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। मौसम विभाग ने अगले चार दिन भारी बारिश का पूर्वानुमान व्यक्त करते हुए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। अगले सात दिन तेज वष्रा की संभावनाएं जताई जा रही हैं। भारी बारिश के कारण न्यूनतम तापमान में भी काफी गिरावट आई है। मगर कई इलाकों में जल-भराव के चलते दिल्ली के सारे विकास की हालत पस्त हो गई है। मानसून आगमन के कारण हुई तीन घंटों तक मूसलाधार बरसात के कारण दिल्ली हवाई अड्डे में छत का एक हिस्सा गिरने से एक वाहन चालक की मौत हो गई। साथ ही, अन्य संबंधित घटनाओं में भी सात अन्य लोगों की अलग-अलग मौत हो गई। पुलिस अभी पोस्ट मार्टम रिपोर्ट के इंतजार में है।

भीषण गर्मी के मार झेल रहे दिल्ली वाले मानसून के बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। मगर सामान्य से दो दिन पूर्व हुई इस जबरदस्त बरसात ने रहवासियों को बुरी तरह भयभीत कर दिया है। मोहल्ले और  बस्तियां ही पानी में नहीं डूबी हैं, बल्कि कई अति व्यस्त अंडरपास भी बरसात के पानी से लबालब भर गए। समूची दिल्ली ट्रैफिक जाम के चलते थम सी गई। यह कोई पहली बार नहीं है, जब दिल्लीवासियों को जल भराव जैसी समस्या से जूझना पड़ रहा है। हर साल राज्य सरकार का तंत्र घोर लापरवाही करता रहता है और अंत में केंद्र सरकार पर सारा ठीकरा फोडक़र अपने र्ढे पर चल पड़ता है।

दिल्ली ही नहीं, प्राकृतिक आपदाओं के चलते प्रति वर्ष देश भर में जनता को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सैकड़ों मौते होती हैं, और जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। सिर्फ चमचमाती सडक़ों, फ्लाईओवरों और  दमकती रोशनी को विकास का पर्याय नहीं माना जा सकता। बल्कि पानी की उचित निकासी और बरसाती पानी के भंडारण की सटीक व्यवस्था की जरूरत ज्यादा है। दरअसल, यह दिल्ली की ही समस्या नहीं है, बल्कि देश के तमाम बड़े शहरों और महानगरों में बारिश होते ही सवाल उठते लगते हैं कि हमारे विकास में क्या खामियां हैं, जो एक ही बारिश में शहर पानी-पानी हो जाते हैं।

बरसात में लोगों की परेशानी पर किसी को तो जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी। केंद्र की भी जिम्मेदारी है कि मौसम की मार से जनता को बचाने की पूर्व तैयारियों पर जोर दे। राज्य सरकारों को भी सख्ती से मुस्तैद रहने की नसीहतें दी जाएं।

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