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मुख्यमंत्री ने किया 188.07 करोड़ की 74 योजनाओं का लोकर्पण और शिलान्यास।
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निकाय चुनाव- पर्यवेक्षकों की टीम आज पार्टी नेतृत्व को सौंपेंगे नामों के पैनल।
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चोटिल हुए भारतीय टीम के कप्तान, 26 दिसंबर से शुरु होने वाले चौथे सीरीज के मुकाबले पर छाया संकट। 
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साल 2047 में भारत को विकसित बनाने में, भारतीय कामगारों की रहेगी अहम भूमिका, प्रधानमंत्री मोदी।
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बर्नआउट क्या है और ये किन स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है?

बर्नआउट क्या है और ये किन स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है?

भावनात्मक, मानसिक और शारीरिक थकावट की स्थिति को बर्नआउट कहा जाता है। यह तब होता है, जब हम नकारात्मक भावनाओं, काम और तनाव से इतना घिर जाते हैं कि खुद को नियंत्रित करना ही मुश्किल हो जाता है।यह हमें असफलता और अस्वीकृति की भावना महसूस कराता है। यह सिर्फ भावनात्मक संघर्ष नहीं है, बल्कि इसका शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।आइए जानते हैं कि बर्नआउट की स्थिति से शरीर पर क्या असर पड़ता है।

प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना
बर्नआउट दीर्घकालिक तनाव से जुड़ी स्थिति है। चिंता और तनाव से घिरे रहने से प्रतिरक्षा प्रणाली पर बुरा असर पड़ सकता है। इस वजह से संक्रमणों और बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।अगर आप इनसे सुरक्षित रहना चाहते हैं तो तनाव को नियंत्रित करने की कोशिश करें और डाइट में ऐसी खान-पान की चीजों को शामिल करें, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती प्रदान करने में मदद कर सकती हैं।

नींद न आना
बर्नआउट की स्थिति में शरीर के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य भी काफी ज्यादा थकावट महसूस करता है और इससे बार-बार मन में बुरे-बुरे ख्याल आते रहते हैं, जिस वजह से नींद आना भी मुश्किल हो जाता है।अगर आपकी नींद बिगड़ती है तो इसके कारण शरीर कई अन्य बीमारियों की चपेट में भी आ सकता है, इसलिए सकारात्मक दृष्टिकोण लाएं।यहां जानिए जीवन में आगे बढऩे के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने के तरीके।

पाचन से जुड़ी समस्याएं होना
बर्नआउट के कारण हम अपने खान-पान और नींद के पैटर्न पर ढंग से ध्यान नहीं दे पाते हैं। यह शरीर के मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करता है, जिससे पाचन में दिक्कत हो सकती है।जब हम बर्नआउट महसूस करते हैं तो इससे एसिड रिफ्लक्स और इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) जैसी पाचन से जुड़ी समस्याएं होने की संभावना बढ़ जाती है।यहां जानिए आईबीएस के जोखिम कम करने वाली हर्बल चाय।

मांसपेशियों में दर्द होना
लगातार तनाव में रहने के कारण शरीर की मांसपेशियों में तनाव महसूस हो सकता है। इससे मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द की समस्या उत्पन्न हो सकती है, खासकर गर्दन और कंधों में।इस स्थिति में सिर दर्द और माइग्रेन होना भी आम है, इसलिए बिना किसी देरी के डॉक्टर से संपर्क करें।यहां जानिए विभिन्न तरह के सिरदर्द, उनके लक्षण और उनसे बचाव का तरीका।

हार्मोनल असंतुलन की रहती है संभावना
लंबे समय तक तनाव और चिंता के संपर्क में रहने से हार्मोनल असंतुलन हो सकता है।बता दें कि हार्मोंन शरीर के सभी कार्यों में अहम भूमिका निभाते हैं और जब ये असंतुलित हो जाते हैं तो इनका शरीर की प्रक्रियाओं पर बुरा असर पड़ता है। इस वजह से कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।शरीर के मेटाबॉलिज्म का धीमा होना इसके प्रभावों में शामिल हैं।

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