देहरादून :- शनिवार को हिमालय क्रांति पार्टी, समाजवादी पार्टी और उत्तराखंड के सामाजिक संगठनों ने संयुक्त रूप से प्रेस क्लब में रमा शंकर कौशिक समिति की उत्तराखंड निर्माण से सम्बंधित रिपोर्ट जिसे कौशिक समिति की रिपोर्ट पर चर्चा का आयोजन किया गया।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता प्रेम चंद जोशी ने उत्तराखंड निर्माण की मांग और उससे सम्बंधित मुद्दों को विस्तार से समझाया। जोशी ने बताया कि कौशिक समिति ने कितनी गहराई से इस विषय पर अध्ययन किया तथा अपनी रिपोर्ट में राज्य बनने के औचित्य को रेखांकित किया और विशेषकर उस वक्त के 8 पर्वतीय जिलों को जोड़कर नए राज्य के गठन का प्रस्ताव रखा। जोशी ने कहा कि यदि राज्य निर्माण के वक्त कौशिक समिति की संस्तुतियों को पूर्ण रूप से लागू किया होता तो संभव है कि राज्य आज विकसित प्रदेश होता और जो समस्याएं आज राज्य के सामने खड़ी न होती।
चर्चा को आगे बढ़ाते हुए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष डॉ सत्य नारायण सचान ने कहा कि राज्य निर्माण के वक्त कौशिक समिति को नजर अंदाज करना उत्तराखंड निर्माण के लिए हुए जनमत संग्रह का अपमान है। विदित होकि कौशिक समिति ने पूरे उत्तराखंड में जनमत संग्रह किया था जोकि देश की आजादी के बाद देश में सबसे बड़ा जनमत संग्रह था। डॉ सच्चान ने कहा कि कौशिक समिति के जनमत संग्रह में 51 प्रतिशत से अधिक लोगों ने गैरसैण को राजधानी बनाने के लिए सहमति दी थी लेकिन बीजेपी की सरकार ने राजधानी के मुद्दे को लटकाकर न सिर्फ जनमत की अवहेलना की बल्कि राज्य को एक नई समस्या दे दी।
सामाजिक कार्यकर्त्ता डॉ प्रेम बहुखंडी ने भौगोलिक आधार पर परिसीमन की आवश्यकता पर जोर देते हुए आंकड़ो के आधार पर कहा कि यदि भौगोलिक आधार पर परिसीमन होगा तो राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों को राज्य सत्ता में अपना प्रतिनिधित्व मिल गया होता।
वही वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड राज्य के निर्माण के वक्त जिस तरह एक व्यक्ति और एक पार्टी को श्रेय देने की होड़ लगी थी उसी वक्त जनता के संघर्ष और बलिदान को नजरअंदाज करने की शरुआत हुई, और नवोदित राज्य प्रशासनिक तंत्र के जाल में फंस गया और आज तक फंसा हुआ है।
सामाजिक कार्यकर्ता डॉ वीरेंद्र पैन्यूली ने कौशिक समिति के बिंदुओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि कौशिक समिति में स्पष्ट लिखा है कि राज्य की राजधानी ऐसी जगह हो जो राज्य का सांस्कृतिक सामाजिक प्रतिनिधित्व करता हो, और इसीलिए गैरसैण राजधानी के लिए सबसे उपयुक्त है। राजधानी के आर्थिक पक्ष पर बोलते हुए डॉ पैन्यूली ने कहा कि सामाजिक और आर्थिक पक्ष के साथ पर्यावरण की रक्षा होगी तो आर्थिक पक्ष अपने आप राजधानी में आ जायेंगे।
इस अवसर पर बैठक में हरीश चंद तिवारी, हिमालय क्रांति पार्टी के संकर दत्त सती, जिलाध्यक्ष पूजा चमोली, सामाजिक कार्यकर्ता वसंत पांडे, किसान नेता योगेंद्र यादव, अतुल शर्मा आदि उपस्थित रहे।