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मुख्यमंत्री धामी ने 188.07 करोड़ की 74 योजनाओं का किया लोकर्पण और शिलान्यास
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अब सब विपक्षी दल वापस एकजुट होने लगे
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से, मुख्यमंत्री आवास में बॉलीवुड अभिनेत्री श्रीमती पद्मिनी कोल्हापुरे ने की शिष्टाचार भेंट। 
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मुख्यमंत्री ने किया 188.07 करोड़ की 74 योजनाओं का लोकर्पण और शिलान्यास।
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भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री, डॉ. मुरली मनोहर जोशी से, कृषि मंत्री गणेश जोशी ने की शिष्टाचार भेंट।
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निकाय चुनाव- पर्यवेक्षकों की टीम आज पार्टी नेतृत्व को सौंपेंगे नामों के पैनल।
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बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को, अनर्गल बयान बाजी करने से नाराज कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने, केंद्रीय मंत्री अमित शाह का किया पुतला दहन, लालचंद शर्मा।
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हमारी टीम घर-घर जाकर संजीवनी योजना, और महिला सम्मान योजना के लिए करेगी पंजीकरण, अरविंद केजरीवाल।
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चोटिल हुए भारतीय टीम के कप्तान, 26 दिसंबर से शुरु होने वाले चौथे सीरीज के मुकाबले पर छाया संकट। 
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राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के बावजूद अयोध्या में क्यों हारी भाजपा?

राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के बावजूद अयोध्या में क्यों हारी भाजपा?

अयोध्या। लोकसभा चुनावों के नतीजे घोषित हो चुके हैं। यूपी में बीजेपी को करारा झटका लगा है। यहां की 80 सीटों में सपा को 37, बीजेपी को 33, कांग्रेस को 6, आरएलडी को 2, आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) को एक और अपना दल (सोनेलाल) को एक सीट मिली है।यूपी में सबसे ज्यादा चौंकाने वाले आंकड़े अयोध्या से सामने आए हैं। अयोध्या में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अवधेश प्रसाद 54,567 वोटों से जीते हैं। उन्हें कुल 5,54,289 वोट मिले। जबिक बीजेपी उम्मीदवार लल्लू सिंह को 4,99,722 वोट मिले। तीसरे नंबर पर बसपा के सच्चिदानंद पांडे रहे, उन्हें 46,407 वोट मिले।

बीजेपी ने राम मंदिर के मुद्दे पर देशभर में माहौल बनाया था और उसे उम्मीद थी कि इसका फायदा उसे यूपी के लोकसभा चुनावों में मिलेगा। लेकिन बीजेपी की ये रणनीति न सिर्फ यूपी में धराशायी हो गई बल्कि अयोध्या में भी उसे बिल्कुल विपरीत नतीजे मिले। जनता के बीच भी ये चर्चा जोरों पर है कि जिस अयोध्या में बीजेपी ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का इतना बड़ा आयोजन किया और इस इवेंट को दुनियाभर में हाईलाइट किया, वहां से वह हार गई। अयोध्या में पीएम मोदी खुद गए, सीएम योगी ने भी कई दौरे किए, देशभर की हस्तियों को यहां बुलाया गया, फिर भी बीजेपी यहां से जीत हासिल नहीं कर सकी।

अयोध्या में क्यों हारी भाजपा
दरअसल अयोध्या में पासी बिरादरी बड़ी संख्या में है। ऐसे में सपा ने पासी चेहरे अवधेश प्रसाद को अयोध्या में अपना उम्मीदवार बनाया। यूपी की सियासत में अवधेश प्रसाद दलितों का एक बड़ा चेहरा हैं और उनकी छवि एक जमीनी नेता की है। सपा को अयोध्या में दलितों का खूब वोट मिला। तो वहीं सपा उम्मीदवार अवधेश प्रसाद की अयोध्या की जनता पर अच्छी पकड़ है। इस बात का अंदाजा ऐसे लगा सकते हैं कि वह 9 बार के विधायक हैं और मंत्री भी रहे हैं। वह समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं।

अयोध्या से बीजेपी उम्मीदवार लल्लू सिंह वही नेता हैं, जिन्होंने कहा था कि मोदी सरकार को 400 सीट इसलिए चाहिए क्योंकि संविधान बदलना है। उनके इस बयान का खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा। लल्लू सिंह अयोध्या से 2 बार से सांसद हैं। बीजेपी ने उन्हें तीसरी बार उम्मीदवार बनाया। जबकि जनता के बीच लल्लू को लेकर काफी नाराजगी दिखी क्योंकि अयोध्या के आस-पास के इलाकों में विकास के कार्य नहीं हुए। राम मंदिर पर फोकस्ड होने की वजह से जनता के मुद्दे पीछे छूटते गए। जिसका असर ये हुआ कि लल्लू को कम वोट पड़े।

राम मंदिर निर्माण के लिए घर और दुकान तोड़े गए
अयोध्या में 14 किलोमीटर लंबा रामपथ बनाया गया। इसके अलावा भक्ति पथ और रामजन्मभूमि पथ भी बना। ऐसे में इसकी जद में आने वाले घर और दुकानें टूटीं लेकिन मुआवजा सभी को नहीं मिल सका। मुआवजा केवल उन्हें मिला, जिसके पास कागज थे। ऐसे में लोगों के बीच नाराजगी थी। जिसे उन्होंने वोट न देकर जाहिर किया।

अयोध्या में आरक्षण भी बहुत बड़ा मु्द्दा रहा क्योंकि बीजेपी नेताओं की बयानबाजी से जनता के बीच ये मैसेज गया कि बीजेपी आरक्षण को खत्म कर देगी। संविधान को बदल देगी। ऐसे में वोटरों का एक बड़ा तबका सपा की ओर चला गया।

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