लोकसभा चुनाव जैसे- जैसे नजदीक आ रहे हैं राजनीतिक पार्टियों की मुसीबतें बढ़ती जा रही है इसी क्रम में उत्तराखंड कॉंग्रेस में उम्मीदवारों को लेकर कांग्रेस की उलझन और बढ़ती ही जा रही है । जिस पौड़ी सीट पर उम्मीदवार करीब करीब फाइनल माना जा रहा था वहां अब कांग्रेस के सामने नया संकट खड़ा हो गया है। सूत्रों के मुताबिक गणेश गोदयाल ने भी चुनाव ना लड़ने की इच्छा जाहिर की है। इस मसले पर गणेश गोदिया ने आलाकमान कमान से बात भी की है। सूत्रों का दावा ये है कि गणेश गोदयाल ने पूरा अपना पक्ष रखा है जिस तरीके से कल से ही यह दावा किया जा रहा था कि गणेश गोदियाल पौड़ी से उम्मीदवार होंगे और आलाकमान ने भी इस पर सहमति दे दी है और सीईसी की भी सहमति बन गई है लेकिन उसके बाद अब खबर ये है कि गणेश गोदयाल ने अपनी पूरी की पूरी बातें आलाकमान के सामने रखी हैं। सूत्रों का दावा है कि गणेश गोदयाल ने संसाधनों की कमी का हवाला दिया है। यानी चुनाव लड़ने के लिए जो संसाधन चाहिए वो फिलहाल उनके पास इतने संसाधन नहीं हैं कि लोकसभा चुनाव लड़ सकें। ऐसे में अब कांग्रेस के सामने संकट ये है कि गणेश गोदयाल नहीं तो कौन? क्योंकि मनीष खंडूरी पहले ही पौड़ी से जो दावेदार थे 2019 में उन्होंने चुनाव भी कांग्रेस के टिकट पर पौड़ी लोकसभा से लड़ा था वो पार्टी छोड़ चुके हैं उसके बाद स्वाभाविक तौर पर गणेश गोदयाल का नाम आ रहा था लेकिन गणेश गोदयाल ने अब यह कहकर पार्टी के सामने अपनी स्थिति साफ की है कि उनके पास संसाधन नहीं है। सूत्रों का दावा है कि मौजूदा स्थिति में जब संसाधन नहीं है तो वो चुनाव लड़ने की स्थिति में भी नहींं हैं। यानी कि गणेश गोदयाल की ना है चुनाव लड़ने को लेकर।
पहले प्रीतम सिंह, यशपाल आर्य हरीश रावत भी इसी तरीके की बातें करते रहे हैं अब चौथे सीनियर लीडर है गणेश गोदियाल हैं उन्होंने भी फिलहाल इनकार किया है। हालांकि आलाकमान की ओर से क्या रुख आता है क्योंकि सभी नेताओं ने अपने-अपने बातें बताई हैं अब आलाकमान क्या कहता है इस पर निगाहें हैं। दरअसल आलाकमान की कोशिश ये भी है कि सभी सीनियर लीडर मैदान में उतरें ताकि कांग्रेस मजबूती के साथ लड़ती हुई दिखाई दे और बीजेपी को हरा सके, लेकिन बड़े नेता एक के बाद एक जिस तरीके से कदम पीछे खींच रहे हैं तो उससे अब उत्तराखंड कांग्रेस और दिल्ली की कांग्रेस जो कांग्रेस हाईकमान है उसके सामने भी एक चुनौती है कि अब कैंडिडेट किन्हें बनाया जाए कौन वो मजबूत चेहरे साबित हो सकते हैं जो इस चुनाव में न सिर्फ टक्कर दे सकते हैं बल्कि जीत सकते हैं?क्योंकि सीनियर लीडर्स की ना के बाद पार्टी के सामने संकट है सेकंड लाइन लीडरशिप किस तरीके से इस मौके को भुना पाएगी ये चुनौतियां भी है लेकिन सवाल यही है कि अगर बड़े नेता नहीं उतरे मैदान में तो मनोवैज्ञानिक तौर पर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर कितना असर पड़ेगा? सूत्रों का दावा है कि गणेश गोरियल पहले से ही चुनाव नहीं लड़ना चाह रहे थे हालांकि उन्होंने कई बार सार्वजनिक बयान भी दिए हैं कि वो चुनाव नहीं लड़ना चाहते लेकिन उनकी तैयारी को देखकर जिस तरीके से हाल फिलहाल वो पूरे पौड़ी क्षेत्र में भ्रमण कर रहे थे तो उसके बाद ये संकेत जा रहे थे कि शायद गणेश गोदियाल चुनाव की तैयारी कर रहे हैं लेकिन अब जिस तरीके से सूत्र बता रहे हैं कि संसाधनों की कभी का हवाला उन्होंने दिया है तो मौजूदा परिस्थितियों कांग्रेस के लिए अब संकट पैदा हो गया हैं और अब आलाकमान किस तरीके से इस संकट की घड़ी में फैसला लेता है और बड़े नेताओं को क्या कहता है यही सबसे दिलचस्प है।
बड़ी खबर यही कि कांग्रेस के लिए अब उम्मीदवार चुनना और भी चुनौती पूर्ण हो गया है क्योंकि पहले कहा जा रहा था कि दो सीट करीब फाइनल हैं लेकिन अब उसमें से पौड़ी सीट भी उलझ गई है। यानी अब चार सीट ऐसी हैं जहां कांग्रेस के सामने चुनौतियां हैं उम्मीदवार तय करने की और सीईसी की बैठक में कल जिस तरीके से कोई फैसला नहीं हो पाया तो उसके बाद अब आने वाले दिनों में जब एक अलग से मीटिंग होनी है जिसमें नेता प्रतिपक्ष और पीसीसी चीफ मौजूद रहेंगे और दिल्ली के कुछ बड़े नेता रहेंगे तो उनके बीच क्या मंथन होता है क्या चिंतन होता है और किसे टिकट दिया जाता है किस सीट से इस पर सस्पेंस भी बढ़ गया है।