देहरादून :- प्रदेश में सैनिक कल्याण मंत्री जोशी ने आज हाथीबड़कला में अमर शहीद मेजर भूपेन्द्र कण्डारी (सेना मेडल) के नाम पर नव निर्मित शहीद द्वार का लोकार्पण किया। इस दौरान सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने दून निवासी अमर शहीद मेजर भूपेन्द्र कण्डारी के चित्र पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि भी दी। इस दौरान सैनिक कल्याण मंत्री ने शहीद के पिता गजेंद्र कंडारी को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित भी किया।
सैनिक कल्याण मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड वीरों की भूमि है, राष्ट्र भक्तों की भूमि है। उन्होंने कहा कि देश को रक्षा के लिए हर पांचवा सैनिक उत्तराखण्ड से होता है। उन्होंने कहा कि प्रथम विश्वयुद्ध से लेकर आज तक राज्य के हजारों रणबांकुरे भारत माता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे चुके हैं। सैनिक कल्याण मंत्री ने कहा राज्य सरकार शहीदों को उनका सम्मान दिलवाने को संकल्पबद्ध है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में प्रदेश में सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों के कल्याण के लिए अनेक योजनाएं संचालित हैं। राज्य सरकार ने सैनिकों को उनके शौर्य के लिए मिले मेडल के आधार पर राशि को बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के बलिदानी सैनिकों के परिजनों को मिलने वाली 10 लाख रुपए की धनराशि को बढ़ाकर 50 लाख रुपए करने का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने कहा कि विशिष्ट सेवा पदक पुरस्कार से अलंकृत सैनिकों की एकमुश्त राशि बढ़ाई गई है। द्वितीय विश्व युद्ध के पूर्व सैनिक एवं युद्ध विधवाओं को प्रतिमाह दिए जाने वाले अनुदान को 08 हजार से बढ़ाकर 10 हजार किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा युद्ध में वीरगति को प्राप्त होने वाले सेना एवं अर्द्धसैन्य बलों के जवानों के एक आश्रित को उनकी शैक्षिक योग्यता के अनुसार राज्याधीन सेवाओं में नौकरी दी जा रही है। अभी तक 27 सैनिक आश्रितों को राज्याधीन सेवाओं में नौकरी दी गई है। उन्होंने कहा कि सैनिकों के सम्मान में प्रदेशभर में सैनिकों द्वार शहिद के नाम पर विद्यालयों ओर सड़क मार्ग का नाम शहीदों के नाम पर रखने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा सैनिकों के सम्मान में बन रहे भव्य सैन्य धाम भी शीघ्र ही प्रदेश की जनता को समर्पित किया जाएगा।
मेजर भूपेन्द्र कण्डारी का जन्म 10 अगस्त, 1973 को हुआ था। अपनी प्रारम्भिक शिक्षा के बाद उन्होंने स्नातक डी०ए०बी० कॉलेज से पूरा किया। बचपन से ही उनका सपना भारतीय सेना में कमीशन ऑफिसर बनने का था। सी०डी०एस० की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात उनका यह सपना पूर्ण हुआ। उन्होनें भारतीय सैन्य अकादमी में 101 रेग्यूलर कोर्स ज्वाईन किया। प्रशिक्षण के दौरान लिगामेंट में चोट के कारण वे 102 बैच के साथ पास आउट हुए। 13 जून 1998 को 14 राजपूताना राईफल्स में उन्होने कमीशन लिया तत्पश्चात उन्होंने 43 राष्ट्रीय राईफल्स (जम्मू कश्मीर) में प्रतिनियुक्ति पर उन्होने अपनी तैनाती दी। अपने अदम्य साहस एवं वीरता का परिचय देते हुए उन्होंने रजौरी क्षेत्र में दो आतंकियो को मार गिराया एवं चेहरे पर गोली लगने से वीरगति को प्राप्त हुए। देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने के कारण भारत सरकार द्वारा उन्हें सेना मेडल दिया गया।
इस अवसर पर विधायक सुरेश गाड़िया, निवर्तमान मेयर सुनील उनियाल गामा, शहीद के पिता गजेंद्र कंडारी, आर.एस. परिहार, महानगर महामंत्री सुरेंद्र राणा, भूपेंद्र कठेत, अधिशासी अभियंता रतना पायल सहित कई संख्या क्षेत्रवासी उपस्थित रहे।