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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने, जनपद बागेश्वर में प्रबुद्ध जनों, राज्य आंदोलनकारियों, एसएचजी महिलाओं व, विभिन्न संगठनों संग किया संवाद।
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मुख्यमंत्री धामी का सख्त निर्देश, जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ समय पर पात्रों तक पहुँचे, लापरवाही बर्दाश्त नहीं।
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डीएम सविन बंसल के निर्देश पर, एसडीएम एवं नगर आयुक्त ऋषिकेश के नेतृत्व में, चंद्रभागा में अवैध अतिक्रमण ध्वस्त।
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कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने, मसूरी विधानसभा क्षेत्र में लगभग 20 करोड़ की लागत से, विभिन्न विकास कार्यों का किया  शिलान्यास।
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कुम्भ मेले में देवडोलियों व लोक देवताओं के प्रतीकों, एवं चल विग्रहों के स्नान और शोभा यात्रा की भव्य व्यवस्थाएं।
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डीएम सविन बंसल संग अर्ली मॉर्निंग वॉक, बढा गई बौद्धिक दिव्यांगजन का हौसला।
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धामी सरकार की बडी पहल, अब गढ़वाल मंडल भी जुडा हवाई सेवाओं से, देहरादून से टिहरी-श्रीनगर-गौचर अब हवाई मार्ग से जुड़े।
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राजभवन का नाम लोक भवन होने पर, राज्यपाल को बधाई एवं शुभकामनाएं दी, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी।
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मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की, पुण्य तिथि पर उनके चित्र पर श्रद्धासुमन किए अर्पित।
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रामपुर तिराहा कांड, अदालत ने दोषी दो पुलिस कर्मियों को सुनाई आजीवन कारावास की सजा।

रामपुर तिराहा कांड, अदालत ने दोषी दो पुलिस कर्मियों को सुनाई आजीवन कारावास की सजा।

देहरादून:- मुजफ्फरनगर। उत्तराखंड आंदोलन के दौरान 1 अक्तूबर 1994 की रात और 2 अक्तूबर को गांधी जयंती की भोर रामपुर तिराहा पर मानवता को शर्मशार करने वालों पर अब 30 साल बाद कोर्ट का हथौड़ा पड़ना शुरू हो गया है। सोमवार को महिलाओं से सामूहिक दुष्कर्म, छेड़छाड़ आदि के मुजरिम उत्तर प्रदेश पीएसी की 41वीं वाहिनी के दो तत्कालीन जवानों मिलाप सिंह व वीरेंद्र प्रताप को कोर्ट ने उम्रकैद सुनाई है। दोनो पर 50-50 हजार जुर्माना भी किया गया है।

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-7 शक्ति सिंह की कोर्ट ने सीबीआई बनाम मिलाप सिंह मामले में बीते 15 मार्च को फैसला सुनाते हुए दोनो को मुजरिम पाया था। सजा सुनाने के लिए सोमवार का दिन तय किया गया था। सोमवार को कोर्ट ने दोनो को उम्रकैद सुनाई। इस दौरान पीड़ित पक्ष, उत्तराखंड आंदोलनकारी और मीडिया का जमावड़ा कोर्ट परिसर में रहा। अभियोजन पक्ष की ओर से शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) राजीव शर्मा, सहायक शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) परवेंद्र सिंह के साथ ही उत्तराखंड आंदोलनकारियों की ओर से अनुराग वर्मा इस मामले में पैरवी की। कुल 15 गवाह मामले में पेश किए गए थे। तब गाजियाबाद में तैनात दोनो मुजरिम अब पीएसी से सेवानिवृत हो चुके हैं। मिलाप सिंह मूल रूप से जनपद एटा के निधौली कलां थाना क्षेत्र के होर्ची गांव और वीरेंद्र प्रताप सिद्धार्थ नगर के गौरी गांव का निवासी है।

अविभाजित उत्तर प्रदेश के तत्कालीन आठ पर्वतीय जिलों के अलग उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर अगस्त-1994 को उत्तराखंड क्रांति दल के संरक्षक और पर्वतीय गांधी स्व. इंद्रमणि बडोनी के नेतृत्व में पूरे क्षेत्र और देश के कई हिस्सों में प्रचंड जनांदोलन हुआ। तत्कालीन मुलायम सिंह-मायावती नीत सपा-बसपा गठबंधन की सरकार ने इस आंदोलन को कुचलने के लिए जमकर दमनचक्र चलाया। खटीमा और मसूरी के बाद 2 अक्तूबर को गांधी जयंती की तड़के मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा पर पुलिस और पीएसी ने उत्तराखंड आंदोलनकारियों पर फायरिंग की। इसमें कई युवाओं की मौके पर ही मौत हो गई और कुछ को पुलिस ने लापता कर दिया। 1 अक्तूबर 1994 की रात दिल्ली रैली के लिए उत्तराखंड और अन्य हिस्सों से कूच कर रहे हजारों आंदोलनकारियों की बसों को पुलिस-पीएसी ने रामपुर तिराहा में रोक लिया। इस दौरान कई आंदोलनकारी महिलाओं से दुर्व्यवहार और कुछ के साथ पुलिस-पीएसी ने दुष्कर्म दुष्कर्म भी किया। इस घटना के विरोध में उत्तराखंड समेत कई स्थानों पर अगले दिन व्यापक हिंसा हुई और कई दिन तक कर्फ्यू लगा रहा। उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति और कई सामाजिक व मानवाधिकार संगठनों की मांग व याचिका पर कोर्ट के निर्देश के बाद इस वीभत्स कांड की जांच सीबीआई को सौंपी गई। सीबीआई ने कई मामले दर्ज किए, जो विभिन्न कोर्ट में चल रहे हैं। इन्हीं से से 25 जनवरी 1995 को उक्त पीएसी कर्मियों के खिलाफ भी मुकदमे दर्ज किए गए थे।

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