देहरादून:- पीएम मोदी को जवाब देने के लिए कॉंग्रेस ने प्रियंका गांधी को मोर्चे पर उतार दिया है। 13 अप्रैल को मंच सजने जा रहा है। मोदी मैजिक इस बार भी मतदाताओं के सिर चढ़कर न बोले पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व इसे लेकर सतर्कता बरत रहा है। प्रियंका की जनसभाएं तय करते समय ऐसे क्षेत्रों को ध्यान में रखा गया है जहां भाजपा के स्टार प्रचारक अभी तक न पहुंचे हों। लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड की रणभूमि में कांग्रेस की जीत की राह में सबसे बड़ी बाधा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं।
प्रदेश में मोदी दो चुनावी सभाएं कर चुके हैं और कांग्रेस सीधे तौर पर उनके निशाने पर रही। मोदी के हमले और भाजपा की चुनाव प्रचार की आक्रामक शैली का दबाव प्रमुख विपक्षी पार्टी महसूस कर रही है। हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पार्टी चुनाव प्रचार और प्रियंका के चुनाव अभियान में यह पैटर्न उपयोग में ला चुकी है। अब इसे लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड में आजमाने की तैयारी है। कांग्रेस उत्तराखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर चुनावी दौरे पर बारीक से नजर रख रही है।लोकसभा चुनाव के लिए प्रदेश में पहले चरण यानी 19 अप्रैल को मतदान होना है। कांग्रेस की चिंता का अन्य प्रमुख कारण सत्ताधारी दल भाजपा का चुनाव प्रचार भी है। प्रत्याशी चुनने से लेकर चुनाव प्रबंधन और स्टार प्रचारकों को मैदान में उतारने में भाजपा ने जिस प्रकार त्वरित और नियोजित ढंग से कदम बढ़ाए, कांग्रेस पर उसका तोड़ ढूंढने का दबाव उसी प्रकार बढ़ चुका है।
प्रधानमंत्री मोदी की गुरुवार को ऋषिकेश में चुनावी सभा के बाद कांग्रेस भी जवाबी तैयारी के रूप में प्रियंका गांधी की 13 अप्रैल को होने वाली जनसभाओं की तैयारी में जुट गई है। दिल्ली से गुरुवार को कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा भी देहरादून पहुंच गईं। प्रियंका की गढ़वाल संसदीय क्षेत्र के रामनगर और हरिद्वार संसदीय क्षेत्र के रुड़की में होने वाली चुनावी सभाओं को सफल बनाने के लिए पार्टी पूरी शक्ति झोंकने जा रही है। इस बार उत्तराखंड के चुनाव मैदान में राहुल गांधी से पहले प्रियंका को उतारा है। पार्टी की योजना पर्वतीय क्षेत्र के मतदाताओं की भावना प्रधान प्रकृति और मुस्लिम मतदाताओं में प्रियंका के माध्यम से पैठ मजबूत करने की है।
गढ़वाल संसदीय क्षेत्र में प्रियंका की सभा के लिए रामनगर का चयन रणनीति के साथ किया गया है। रामनगर विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की बड़ी संख्या है। यह गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के बीच दूरस्थ क्षेत्र है। इस क्षेत्र में भाजपा ने भी अपने स्टार प्रचारक नहीं उतारे हैं। कांग्रेस अग्निपथ योजना का पुरजोर विरोध कर रही है। गढ़वाल संसदीय क्षेत्र सैनिक बहुल है, साथ ही यहां गढ़वाल रेजिमेंट का मुख्यालय भी है। प्रियंका के माध्यम से महिला मतदाताओं और तीन संसदीय क्षेत्रों को साधने का प्रयास पार्टी करेगी।
रामनगर में सभा के लिए गढ़वाल समेत अन्य दो निकटस्थ संसदीय क्षेत्रों अल्मोड़ा और नैनीताल-ऊधमसिंहनगर से पार्टी कार्यकर्ताओं और क्षेत्रवासियों को जुटाया जा रहा है। रामनगर के बाद प्रियंका रुड़की जाएंगी। हरिद्वार संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत रुड़की में प्रियंका की सभा के लिए संयोजक का जिम्मा राष्ट्रीय सचिव व मंगलौर के पूर्व विधायक काजी निजामुद्दीन को दिया गया है। हरिद्वार संसदीय क्षेत्र में मुस्लिम आबादी 30 प्रतिशत से अधिक है। मतदाताओं के इस समूह को रिझाने में पार्टी कसर नहीं छोड़ना चाहती। मोदी की काट के लिए प्रियंका के बाद कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के चुनाव कार्यक्रम तय किए जा रहे हैं। प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा ने कहा कि दोनों नेताओं के कार्यक्रम जल्द निर्धारित होंगे।