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मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की, पुण्य तिथि पर उनके चित्र पर श्रद्धासुमन किए अर्पित।
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दैनिक वेतन संविदा नियत वेतन अंशकालिक, तथा तदर्थ रूप में नियुक्त कार्मिकों का विनियमितीकरण नियमावली जारी।
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की स्वीकृति के क्रम में, गन्ना की मूल्य वृद्धि का शासनादेश हुआ जारी। 
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डीएम सविन बंसल ने रायपुर में, EVM-VVPAT वेयरहाउस का निर्धारित, प्रोटोकॉल के अनुरूप त्रैमासिक किया निरीक्षण।
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मुख्यमंत्री धामी का सख्त निर्देश, हर माह की 5 तारीख तक समाज कल्याण की, सभी पेंशन अनिवार्य रूप से पहुँचेगी खातों में।
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दिव्यांग शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की होगी जांच, गलत लाभ लेने वालों पर होगी कठोर कार्यवाही, डॉ. धन सिंह रावत।
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मुख्यमंत्री द्वारा प्रदत्त निर्देशों के क्रम में, सूचना महानिदेशक की अध्यक्षता में गठित समितियों द्वारा, पत्रकारों के कल्याण एवं सम्मान के लिए महत्वपूर्ण निर्णय।
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शक्ति कॉलोनी में स्वीकृत लागत, ₹303.46 लाख की सीवरेज योजना का किया शिलान्यास, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी।
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से, परिवीक्षाधीन पीसीएस अधिकारियों ने की भेंट।
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भारत के बड़े शहर भू-धंसाव की चपेट में, खतरे में करोड़ों की आबादी

भारत के बड़े शहर भू-धंसाव की चपेट में, खतरे में करोड़ों की आबादी

औद्योगिक विकास और अव्यवस्थित निर्माण बन रहे आपदा का कारण

नई दिल्ली। दुनिया भर के प्रमुख तटीय शहरों में ज़मीन के तेजी से धंसने का खतरा गंभीर होता जा रहा है। समुद्र के जलस्तर में हो रही लगातार बढ़ोतरी और शहरी विकास के कारण कई शहरों की ज़मीन हर साल एक सेंटीमीटर या उससे अधिक की दर से नीचे जा रही है। एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन के अनुसार, एशिया, अफ्रीका और अमेरिका के दर्जनों महानगर इस संकट से प्रभावित हैं, जिससे बाढ़, जलभराव और ढांचागत अस्थिरता जैसे खतरे सामने आ रहे हैं।

भारत के भी कई बड़े शहर इस समस्या की चपेट में हैं। मुंबई, चेन्नई, सूरत, कोलकाता और अहमदाबाद जैसे शहरों में लाखों लोग ऐसी ज़मीन पर रह रहे हैं, जो साल दर साल नीचे धंस रही है। यह खुलासा सिंगापुर की नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए एक विस्तृत अध्ययन में हुआ है। शोध के मुताबिक 2014 से 2020 के बीच दुनियाभर में लगभग 7.6 करोड़ लोग ऐसी जगहों पर रह रहे हैं, जहां जमीन सालाना कम से कम 1 सेंटीमीटर धंसी है।

मुंबई के किंग्स सर्कल स्टेशन सहित कई इलाके हर साल औसतन 2.8 सेंटीमीटर तक धंस रहे हैं। करीब 62 लाख लोग ऐसे क्षेत्रों में बसे हैं, जहां हर साल जमीन खतरनाक दर से नीचे जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार इसका मुख्य कारण अनियंत्रित भूजल दोहन, भारी निर्माण गतिविधियाँ और मेट्रो परियोजनाओं का बोझ है।

गुजरात का औद्योगिक शहर सूरत भी इस संकट से अछूता नहीं है। करंज क्षेत्र में जमीन हर साल 6.7 सेंटीमीटर की दर से नीचे जा रही है, जिससे करीब 41 लाख लोग प्रभावित हो रहे हैं।

चेन्नई के कुछ हिस्सों में ज़मीन हर साल औसतन 0.01 से 3.7 सेंटीमीटर तक नीचे जा रही है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, करीब 12 लाख लोग इस भू-धंसाव के दायरे में हैं।

अहमदाबाद के पीपलाज क्षेत्र में भू-धंसाव की गति 4.2 सेंटीमीटर प्रति वर्ष तक है, जिससे 34 लाख से अधिक लोग खतरे में हैं।

कोलकाता के भाटपाड़ा क्षेत्र में सालाना 2.6 सेंटीमीटर तक ज़मीन धंस रही है। यहां 17 लाख लोगों के सामने संरचनात्मक अस्थिरता और बाढ़ का खतरा बना हुआ है।

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